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म्यांमार में भड़का चीन के खिलाफ गुस्सा, लोकतंत्र समर्थकों ने चीनी फैक्ट्रीयों को किया आग के हवाले

म्यांमार में उग्र चीन विरोधी प्रदर्शन, कई फैक्ट्रियों को फूंका

पाकिस्तान में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव प्रोजेक्ट के तहत सीपेक के नुकसान की भरपाई चीन म्यांमार के कर रहा है। इसीलिए चीन ने म्यांमार के आर्मी चीफ के साथ साजिश रची और वहां की डेमोक्रेटिक सरकार को गिराकर सैन्य शासन लागू करवा दिया। अब चीन म्यांमार में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों को कुचलकर अपनी नीतियों को वहां लागू करवा रहा है। म्यांमार की जनता को चीन के इस षडयंत्र का पचाचल चुका है। म्यांमार की जनता का गुस्सा सैनिक शासकों के अलावा अब चीनी नागरिकों और चीन के प्रतिष्ठानों पर निकल रहा है।  

म्यांमार की क्रूर सेना को अंतरराष्‍ट्रीय प्रतिबंधों से बचाने में लगे चीन के खिलाफ लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों का गुस्‍सा बुरी तरह से भड़क उठा है। यंगून के हलैनगठाया जिले में चीन के उद्योगपतियों की कई फैक्‍ट्रीयों को लूट लिया गया और उनमें आग लगा दी गई है। इस घटना में कई चीनी नागरिक बुरी तरह से घायल हो गए हैं। म्‍यांमार में चीन के दूतावास ने पूरी स्थिति को बेहद गंभीर बताया है।

चीनी दूतावास ने अपने नागरिकों को भी चेतावनी दी है। चीनी दूतावास ने चीनी कंपनियों की रक्षा के लिए सेना से सुरक्षा से की गुहार लगाई है। बताया जा रहा है कि इस हमले में कई चीनी नागरिक फंस गए हैं और वे निकल नहीं पा रहे हैं। चीनी टीवी चैनल सीजीटीएन के मुताबिक चीनी नागरिकों के स्‍वामित्‍व वाली दो गारमेंट फैक्‍ट्रीयों को आग लगा दी गई है। वहीं तीसरी फैक्‍ट्री में भी आग देखी गई है। हालात बेहद खराब हैं और कई लोगों के हताहत होने की आशंका है।

सेना के गत एक फरवरी को आंग सान सू की की सरकार का तख्तापलट करने के बाद से देश में लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शनकारी हिरासत में लिए गए नेताओं को रिहा करने की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों के निशाने पर चीन की सरकार भी है और उनका कहना है कि चीन सरकार म्‍यांमार की सेना को बचा रही है। पिछले दिनों लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों ने यंगून में चीनी दूतावास के सामने प्रदर्शन करते हुए पेइचिंग से सेना का समर्थन करना बंद करने को कहा था।

एक अखबार के मुताबिक प्रदर्शनकारी हाथों में तख्तियां थामे हुए थे जिस पर लिखा था कि 'म्यांमार का समर्थन करें, तानाशाह शासकों का नहीं' और 'सेना की मदद करना बंद करें।' चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से तख्तापलट को पेइचिंग का समर्थन मिलने के आरोपों के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आपने कहा कि म्यांमार में कुछ अफवाहें फैलाई जा रही हैं। यह सही है। कुछ लोग कहते हैं कि इसके पीछे चीन है। लेकिन, म्यांमार में हमारे राजदूत चीन का रुख बता चुके हैं और उन्होंने अफवाहों का खंडन किया था।

 

 

 

 

हिंसा बढ़ने के बीच म्यांमार में राजनीतिक संकट के समाधान के लिए कूटनीतिक प्रयास भी किए जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शुक्रवार को म्यांमार के मामले पर बैठक होने की संभावना है। ब्रिटेन ने इस बैठक का अनुरोध किया है। हालांकि, म्यांमार के खिलाफ किसी समन्वित कार्रवाई पर संयुक्त राष्ट्र में सुरक्षा परिषद के दो स्थायी सदस्य चीन और रूस वीटो लगा सकते हैं। कुछ देशों ने म्यांमा पर प्रतिबंध लगाए हैं जबकि कुछ देश प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं। एक ओर जहां दुनियाभर में म्‍यांमार की सेना के कदम की निंदा हो रही है, वहीं चीन की भूमिका पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, तख्‍तापलट से कुछ समय पहले ही चीन के राजनयिक वांग यी ने म्यांमार सेना के कमांडर इन चीफ मिन आंग लाइंग से मुलाकात की थी। तख्तापलट के बाद चीन की प्रतिक्रिया बहुत ठंडी रही है और वह तो इसे तख्‍तापलट ही नहीं मान रहा है। चीन सरकार इसे सत्‍ता का हस्‍तातंरण बता रही है। चीन ने कहा है कि म्यांमार उसका मित्र और पड़ोसी देश है। हमें उम्मीद है कि म्यामांर में सभी पक्ष संविधान और कानूनी ढांचे के तहत अपने मतभेदों को दूर करेंगे और राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता बनाए रखनी चाहिए।' चीन की इस प्रतिक्रिया को शक की नजरों से देखा जा रहा है।

 

 

दरअसल, चीन, म्यांमार का महत्वपूर्ण आर्थिक भागीदार है और उसने यहां खनन, आधारभूत संरचना और गैस पाइपलाइन परियोजनाओं में अरबों डॉलर का निवेश किया है। चीन ने म्यांमार में काफी निवेश किया है। पिछले साल राष्ट्रपति शी जिनपिंग जब यहां दौरे पर आए थे तो 33ज्ञापनों पर दस्तखत किए गए थे जिनमें से 13इन्फ्रास्टक्चर से जुड़े थे। चीन ने देश की राजनीति में अहम भूमिका निभाई है और पिछली सैन्य तानाशाह सरकार में साथ भी रहा लेकिन आंग सान सू ची के आने के बाद उनके साथ भी चीन के संबंध अच्छे रहे। पहले भी चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी अधिनायकवादी शासकों का समर्थन करती रही है। हालांकि, म्यांमार में चीनी मूल के अल्पसंख्यक समूहों और पहाड़ी सीमाओं के जरिए मादक पदार्थ के कारोबार के खिलाफ कार्रवाई करने के कारण कई बार रिश्तों में दूरियां भी आई हैं। चीन और म्यांमार के बीच 2,100किमी की सीमा है और यहां सरकार और अल्पसंख्यक विद्रोही गुटों के बीच संघर्ष चलता रहता है लेकिन चीन की सेना को इस बात की चिंता भी नहीं है कि म्यांमार की उथल-पुथल का असर उसके क्षेत्र में होगा।

 

 

म्यांमार को लेकर चीन को क्या है डर

चीन को डर है कि कहीं म्यांमार की जनता में चीन विरोधी भावना घर न बना ले। ऐसे में चीन को न केवल बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव अभियान को नुकसान पहुंच सकता है, बल्कि भारत को पूर्व के रास्ते घेरने का ख्वाब भी टूट सकता है। चीन बड़े पैमाने पर म्यांमार में निवेश किए हुए है, जिसमें सड़क निर्माण के साथ पोर्ट का विकास भी शामिल है। चीन की सरकार अपनी परियोजनाओं को मंजूरी न देने के कारण म्यांमार की लोकतांत्रिक सरकार से चिढ़ा हुआ था।