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Holashtak: 22 मार्च से लग रहा है होलाष्टक, इस दौरान भूल कर भी न करें ये 8 काम

22 मार्च से लग रहा है Holashtak, इस दौरान भूल कर भी न करें ये काम

सूर्य ग्रह (Surya Gochar 2021) का मीन राशि में गोचर हो चुका है जिसे शुभ माना जाता है। लेकिन, ये बता दें कि बीती 14मार्च से मलमास (Malmas) या खरमास तिथि (Kharmas Tithi) का आरंभ भी हो चुका है जो 13अप्रैल तक रहेगा। और इस दौरान मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं।

वहीं, पूरे एक महीने के मीन मलमास के दौरान होली 2021 (Holi 2021) से पहले 08दिनों के लिए होलाष्टक (Holashtak 2021 Start Date) भी लग रहा है। ये होलाष्टक 22मार्च यानी सोमवार से 28मार्च तक रहेगा।

ऐसे में आइये जानते हैं अशुभ माने जाने वाले मलमास (Malmas) या खरमास 2021 (Kharmas 2021) में पड़ रहे होलाष्टक (Holashtak 2021) जैसे एक अशुभ संयोग पर क्या करना आपको बहुत भारी पड़ सकता है।

और होलाष्टक और खरमास की क्या है कहानी।

खरमास या मलमास  कब होगा समाप्त

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य जब बृहस्पति की राशि धनु या मीन में गोचर करते है तो खरमास या मलमास तिथि का आरंभ हो जाता है। ऐसे में इस बार सूर्य मीन राशि में प्रवेश 14मार्च को कर चुके है।. अत: खरमास तिथि शुरू हो गयी है। जो 13अप्रैल तक रहेगी। आपको बता दें, जब वापस सूर्य मीन से मेष राशि में प्रवेश करेंगे तो मलमास तिथि समाप्त हो जायेगी। ऐसे में इस बार 14अप्रैल से वापस विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, यज्ञ आदि धार्मिक शुभ कार्य शुरू किए जा सकेंगे।

होलाष्टक  कब लगेगा (Holashtak 2021 Date)और क्या है कहानी

होलाष्टक, होली से 8दिन पहले लगता है। खरमास की तरह हिंदू धर्म में इसे भी अशुभ माना जाता है। साल 2021में यह 22मार्च से 28मार्च यानी होलिका दहन तक प्रभावी रहने वाला है। इस दौरान भी शुभ कार्य नहीं किए जाते है। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि से फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि तक होलाष्टक तिथि पड़ती है।

होलाष्टक में क्यों नहीं किए जाते शुभ कार्य

राजा हिरष्णकश्यप ने अपने बेटे प्रह्लाद को सिर्फ इसलिए बंदी बना लिया क्योंकि वह भगवान विष्णु के परमभक्त थे। उन्हें कई यातनाएं दी गयी और हिरष्णकश्यप ने अपनी बहन होलिका को बेटे को जलाकर भष्म करने का निर्देश दिया। लेकिन, उस आग में वे खुद जल गयी. यही कारण है कि होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य करने की मनाही होती है। इस दौरान ही नन्हें प्रह्लाद को प्रताड़ित किया जा रहा था।

एक और पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव ने फाल्गुन मास की अष्टमी तिथि को कामदेव को भस्म किया था। जिससे प्रकृति में शोक में डूब गयी थी। यह भी कारण है इस दौरान मांगलिक कार्यों को नहीं किया जाता।

मलमास के दौरान भूलकर भी ना करें ये काम (Do And Donts In Meen Malmas)

विवाह कार्य न करें

धन संपत्ति में निवेश न करें

नए व्यवसाय की शुरूआत न करें

गृह प्रवेश या घर के निर्माण संबंधी कार्य न करें

बच्चों के मुंडन नहीं करवाएं

नए वाहन की खरीदारी न करें

इस दौरान कर्णवेध समेत दूर देश की यात्रा की भी मनाही की जाती है।