नेपाल में सियासी संकट के दौर में नेपाली कांग्रेस अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा की चुप्पी ने सभी राजनीतिक दलों को सकते में डाल दिया है। ऐसा माना जा रहा है कि देउबा और प्रधानमंत्री ओली में भीतरखाने कुछ समझौता हो चुका है। इसीलिए देउबा ने चुप्पी साध रखी है। हालांकि कांग्रेस के भीतर से आवाजें उठने लगीं है कि देउबा को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद माना जा रहा था कि नेपाली कांग्रेस प्रचण्ड-माधव गुट को समर्थन देगी और सदन में अल्पमत होने के कारण ओली को अपना इस्तीफा देना पड़ेगा। ऐसा इसलिए भी माना जा रहा था क्योंकि प्रचण्ड-माधव गुट ने खुले तौर पर ऐलान कर दिया था कि अगर नेपाली कांग्रेस समर्थन देती है तो प्रधानमंत्री पद शेर बहादुर देउबा को दिया जाएगा।
इतना होने के बावजूद देउबा ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। नेपाली मीडिया में इस बात की भी चर्चा है कि ओली और देउबा के बीच में गुप्त समझौता हो चुका है। हालांकि, इस बारे में ओली या देउबा दोनों की ओर से कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है। इसके अलावा, खबरें ये भी हैं कि प्रधानमंत्री ओली का सत्ता पर पकड़ और मजबूत होती जा रही है।
ओली ने पार्टी के सभी सदस्यो को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि या तो समर्थन दो या फिर अनुशासनात्मक कार्यवाही झेलने को तैयार रहो। नेपाल की सियासत के जानकारों का कहना है कि ओली की वैधानिक स्थिति प्रचण्ड-माधव गुट से काफी मजबूत है। इसीलिए समय की नजाकत को देखते हुए नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं।