हिंदू धर्म में चैत्र मास की एकादशी को बेहद खास माना जाता है। इस एकादशी को पापमोचिनी एकादशी कहते है। इस बार ये एकादशी 7 अप्रैल को पड़ी रही है। एकादशी का व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना जाता है। मान्यता है, जो भी इस व्रत को रखता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते है। महाभारत में भी एकादशी व्रत का जिक्र है। पौराणिक कथा के मुताबिक, भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर और अर्जुन को एकादशी के महत्व के बारे में बताया था। इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु चंदन, पुष्प, फल, वस्त्र आदि अर्पित किया जाता है।
पापमोचनी एकादशी की कथा- एक बार च्यवन ऋषि के बेटे मेधावी ऋषि घोर तपस्या में लीन थे। उनकी तपस्या को देख देवता घबरा गए और उनकी तपस्या भंग करने के लिए कई तरीके अजमाए, लेकिन हर बार नाकाम रहे। इसके बाद देवाओं ने स्वर्ग की अप्सरा मंजुघोषा को उनके पास भेजा। मंजुघोषा ने अपने नृत्य, गायन और सौंदर्य से मेधावी ऋृषि का ध्यान भंग कर दिया। ऋषि मेधावी मंजूघोषा पर इस कदर मोहित हुए कि वो उसी के साथ रहने लगे। कुछ दिनों बाद मंजूघोषा ने स्वर्ग जाने की अनुमति मांगी तब ऋषि को एहसास हुआ कि वो उनकी तपस्या भंग करने आई थी।
ऋषि मंजूघोषा पर काफी क्रोधित हुए और उन्होंने उन्हें पिशाचिनी बनने का श्राप दे दिया। मंजुघोषा ने क्षमा भी मांगी और श्राप से मुक्ति का उपाय बताने को कहा। तब मेधावी ऋषि ने उसे पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने के लिए कहा। जब मंजूघोषा ने पापमोचनी का व्रत रखा तो वो श्रापमुक्त हो गई और अपने पहली रुप में आ गई। चलिए, अब आपको बताते है कि पापमोचनी एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त-
एकादशी तिथि आरम्भ: 07 अप्रैल 2021, बुधवार, सुबह 02 बजकर 09 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त: 08 अप्रैल 2021, गुरुवार, सुबह 02 बजकर 28 मिनट तक
व्रत पारण का समय: 08 अप्रैल 2021, दोपहर 1 बजकर 39 से शाम 04 बजकर 11 मिनट तक