देश के 48वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर जस्टिस नथालपति वेंकट रमना 23 अप्रैल को शपथ लेने वाले हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के उनके नाम पर मुहर लगा दी है। चीफ जस्टिस एसए बोबडे 23 अप्रैल को रिटायर हो रहे हैं। उन्होंने ही जस्टिस रमना को सीजेआई बनाने की सिफारिश की थी। एनवी रमना का जन्म 27 अगस्त 1957 को आंध्र प्रदेश के कृष्ण जिले के पोन्नवरम गांव में एक किसान परिवार के यहां हुआ। उन्होंने साइंस और लॉ में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। इंदिरा गांधी सरकार ने 1975 से लेकर 1977 तक भारत में आपातकाल घोषित किया था। इस इमरजेंसी के दौरान उन्होंने छात्र नेता के दौर पर नागरिक अधिकारों की स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी थी।
इसके लिए उन्होंने अपना शिक्षा का एक साल भी त्याग कर दिया था। एक वक्त ऐसा भी आया, जब उनके पिता ने आपातकाल के खिलाफ एक सार्वजनिक बैठक की अध्यक्षता करने को लेकर उन्हें शहर छोड़ने के लिए कह दिया था। इसके बाद 1980 में उन्होंने समाचार पत्र में पत्रकार के तौर पर काम किया, लेकिन उनकी दिलचस्पी पत्रकारिता में नहीं बल्कि कानून के पर्चों में थी। इसलिए उन्होंने 1983 में वकील के तौर पर अपना करियर शुरु किया। साल 2000 में उन्हें आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में स्थायी न्यायधीश के तौर पर नियुक्त किया गया। यहां उन्होंने 13 साल जिम्मेदारियों को संभाला, इसके बाद साल 2013 में उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के तौर पर जिम्मेदारी मिल गई।
साल 2014 में वो सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रुप में नियुक्त हुए और अब 23 अप्रैल 2021 को वो 48वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ लेने के लिए बिल्कुल तैयार है। सीजेआई बनते ही उनकी सैलरी में भी बढ़ोतरी हो जाएगी। पिछले साल कानून मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की सैलरी में करीब 200 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी करने का फैसला किया था।
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— इंडिया नैरेटिव (@NarrativeHindi) April 6, 2021
इस फैसले के चीफ जस्टिस की सैलरी अब 2 लाख 80 हजार रुपए प्रति महीना हो गई है। जबकि पहले सीजेआई की सैलरी 1 लाख रुपए प्रति महीने होती थी। यानी मुख्य न्यायाधीश के तौर पर एनवी रमना 2 लाख 80 हजार रुपए प्रति महीना आय प्राप्त करेंगे। जस्टिस रमना ने अपने कार्यकाल में कई अहम फैसले भी सुनाए है। साथ ही कई संवैधानिक पीठ का भी हिस्सा रहे। जस्टिस रमना अयोध्या केस में सुनवाई करने वाली पीठ में शामिल थे। इस पीठ की अगुवाई तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई ने की। आपको बता दें कि गोगोई साल 2019 में रिटायर हो गए थे। इसके मामले के अलावा, जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट बहाली को लेकर भी काफी चर्चाओं में रहे। सीजेआई के ऑफिस को भी आरटीआई के तहत लाने का फैसला सुनाने वाली पांच जजों की बेंच में भी जस्टिस रमना शामिल थे। यही नहीं, किसी कपंनी पर जुर्माने की रकम उसके टर्नओवर के मुताबिक होने का फैसला भी जस्टिस रमना के अगुवाई वाली बेंच ने सुनाया था।