अजमेर में अढ़ाई दिन का झोपड़ा उन सैकड़ों इस्लामिक इमारतों में से एक है जिसे <a href="https://hindi.indianarrative.com/vichar/sharada-shaktipeeth-temple-central-asias-most-famous-education-center-only-ruins-19144.html">हिन्दू मंदिरों और महाविद्यालयों</a> को तोड़कर उनके ध्वंसावशेषों पर बनाया गया था। जैसा कि नाम से ही ज़ाहिर है कि इसे ढाई दिनों के अंदर बनाया गया था। जब मोहम्मद गौरी ने अजमेर को जीता तब उसे और उसके सैनिकों को नमाज़ पढ़ने के लिये जगह चाहिए थी। उस समय एक संस्कृत विद्यालय और विद्यालय परिसर में बने विष्णु मंदिर को तोड़कर इस मस्जिद का निर्माण करवाया गया। 90 के दशक में यहां पर प्राचीन हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां मिली थीं, जिसे बाद में पुरातत्व विभाग ने संरक्षित जगह पर रखवा दिया।
इसे कुतुबुद्दीन ऐबक ने सन् 1192 ई. में बनवाया था जो 1199 ई. में पूरा हुआ था। जिसे बाद में इल्तुतमिश (कुछ इस्लामिक विद्वानों और इतिहासकारों के अनुसार अल्तमश सही नाम है) ने 1213 ई. में विस्तार दिया था। इसी वर्ष अफ़गानी आक्रांता मोहम्मद गौरी ने चौहान राजा पृथ्वीराज चौहान को तराईन की दूसरी लड़ाई में हरा कर उनका वध कर दिया था। जिसके बाद पृथ्वीराज चौहान की राजधानी तारागढ़, अजमेर पर हमला किया था। यहां पर संस्कृत का एक विद्यालय था, जिसका नाम “सरस्वती कंठाभरण महाविद्यालय” था। उसे ही तोड़कर अढ़ाई दिन का झोपड़ा बनाया गया।
आज जहां पर अढ़ाई दिन का झोपड़ा बना है ठीक उस जगह पर एक <a href="https://hindi.indianarrative.com/world/sharda-peeth-temple-pok-hindu-population-completely-decimated-neelum-valley-district-18414.html">विष्णु मंदिर</a> था। जिसका निर्माण शाकंभरी चौहान वंश के राजा विग्रहराज चतुर्थ ने करवाया था। विग्रहराज को विसलदेव के नाम से भी जाना जाता है। कुतुबुद्दीन ऐबक ने विष्णु मंदिर के गर्भगृह को तोड़कर मूर्तियों को फेंकवा दिया था और उसी ऊंचे चबूतरे का इस्तेमाल मौलवी के नमाज़ पढ़ने के लिये किया गया। जिसके पीछे कतार में खड़े होकर बाकी लोग नमाज़ पढ़ते हैं।
<h2>स्तंभों की मूर्तियों को तोड़कर दिया मस्जिद का रूप</h2>
अढ़ाई दिन का झोपड़ा एक मस्जिद है जिसमें 70 स्तंभ लगे हैं। इन पर देवी-देवताओं, मंदिरों की घंटियों, ज़ंजीरों के बने होने से साफ़तौर पर ये पता चलता है कि यहां पर एक हिन्दू इमारत बनी थी। जिसे तोड़कर इस मस्जिद को बनाया गया था। इन स्तंभों पर बनी देवी-देवताओं की मूर्तियों के चेहरों को तोड़कर सपाट बनाया गया है। क्योंकि इस्लाम में किसी भी रूप में मूर्ति पूजा की इजाज़त नहीं है। छत पर अंदर की तरफ़ भी देवी-देवताओं की मूर्तियां बनीं थीं। जिसे तोड़कर खुरच दिया गया।
बावजूद इसके ये बात समझ से परे है कि कब्ज़ाई गई ज़मीन पर बलपूर्वक अवैध तरीके से बनी इबादतगाह को सही कैसे ठहराया जा सकता है। उसके पक्ष में तमाम मनगढ़ंत दलीलें दी जाती हैं। <a href="https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A2%E0%A4%BC%E0%A4%BE%E0%A4%88_%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%A8_%E0%A4%95%E0%A4%BE_%E0%A4%9D%E0%A5%8B%E0%A4%82%E0%A4%AA%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%BE">अढ़ाई दिन का झोपड़ा</a> 800 वर्ष पहले भारत में बनी दूसरी मस्जिद थी। पहली मस्जिद केरल में बनी थी। जिसे केरल के राजा ने बनवाया था। इस मस्जिद का नाम है चेरुमान जुमा मस्जिद। केरल के कोडंगलूर ज़िले में सातवीं शताब्दी में इसे केरल के राजा ने बनवाया था।.