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Super Blood Moon 2021 कहीं खाली आसमान तो कहीं तारों के बीच दिखा खूबसूरत सुपर ब्लड मून का नजारा!

Blood Moon Supermoon 202

साल का पहला चंद्रग्रहण बुधवार को लग चुका है। आज पूर्ण चंद्रग्रहण, ब्लड मून और सूपरमून तीनों एक साथ दिखाई दे रहे हैं। यह खगोलीय घटना पूरे छह साल बाद हो रही है जिसे लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिकों में भी खासा उत्साह है। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में चंद्रग्रहण दिखना शुरू हो गया है, वहीं भारत में यह अंधेरा होने पर नजर आएगा। चंद्रग्रहण दोपहर 2 बजकर 17 मिनट पर शुरू होकर शाम को 7 बजर 15 मिनटपर खत्म होगा।

चंद्रमा का दिखा काफी बड़ा आकार

आज दुनियाभर के कई देशों में चंद्रमा अपने आकार से काफी बड़ा भी दिखाई दे रहा है। जिसे वैज्ञानिकों ने फ्लावर मून का नाम दिया है। भारत में अगर रात साफ रही तो यह पूरी रात नजर आएगा। पूर्ण ग्रहण की सबसे गहरी छाया करीब 15 मिनट तक ही रहेगी। इसके बाद चंद्रमा धीरे-धीरे बड़े आकार में दिखना शुरू होगा।

चंद्रग्रहण के वक्त चंद्रमा लाल क्यों दिखने लगता है

जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में पूरी तरह ढक जाता है तो अंधेरा छा जाता है लेकिन पूरी तरह स्याह नहीं होता। इसके बजाए यह लाल रंग का दिखता है इसलिए पूर्ण चंद्र ग्रहण को लाल या रक्त चंद्रमा भी कहा जाता है। सूर्य के प्रकाश में दृश्य प्रकाश के सभी रंग होते हैं। पृथ्वी के वातावरण से गुजरने के दौरान प्रकाश में नीला प्रकाश छन जाता है जबकि लाल हिस्सा इससे गुजर जाता है। इसलिए आकाश नीला दिखता है और सूर्योदय और सूर्यास्त के समय लालिमा छा जाती है। चंद्र ग्रहण के मामले में लाल प्रकाश पृथ्वी के वातावरण से होकर गुजरता है और यह चंद्रमा की ओर मुड़ जाता है जबकि नीला प्रकाश इससे बाहर रह जाता है। इससे चंद्रमा पूरी तरह लाल नजर आता है।

अमेरिकी की अंतरिक्ष एजेंसी NASA के अनुसार 2021 में अन्य पूर्ण चंद्रमाओं की तुलना में फ्लावर मून पृथ्वी के सबसे निकट पहुंचेगा। जिसके कारण यह वर्ष के सबसे निकटतम और सबसे बड़े पूर्ण चंद्रमा के रूप में दिखाई देगा।

चंद्रमा पूर्णिमा के दिन पूर्ण आकार में नजर आता है

चंद्रमा का भी आधा हिस्सा पृथ्वी की तरह सूरज की रोशनी में प्रकाशित रहता है। पूर्ण चंद्र की स्थिति तब बनती है जब चंद्रमा और सूरज पृथ्वी के विपरीत दिशा में होते हैं। इससे रात में चंद्रमा तश्तरी की तरह नजर आता है। प्रत्येक चंद्र कक्षा में दो बार चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य दोनों के समान क्षैतिज तल पर होता है। अगर यह पूर्ण चंद्रमा से मेल खाती है तो सूरज, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आते हैं और चंद्रमा पृथ्वी की छाया से होकर गुजरेगा। इससे पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है।