भारत से पंगा लेना चीन (India China Trade) को महंगा पड़ रहा है। पहले बॉर्डर और अब ट्रेड वॉर में चीन (India Export to China) को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। वैश्विक महामारी कोरोना के बावजूद चीन को किए जाना वाले भारतीय निर्यात में जबरदस्त उछाल दर्ज की गई है। जबकि चीन से आयात होने वाली वस्तुओं में गिरावट आई है। भारत ने कोरोनो महामारी के दौरान होने वाली मांग के बीच अपने एशियाई पड़ोसी चीन से आयात कम करने के लिए कई प्रबंधन किए। जबकि उसका निर्यात 2019 की तुलना में 11 फीसदी (11% growth in export) बढ़कर 19 अरब डॉलर पहुंच गया।
भारत और चीन के बीच तनाव की स्थिति होने के बावजूद एक बार फिर चीन 2020 में भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार के रूप में सामने आया है। भारत के वाणिज्य मंत्रालय के अस्थायी आंकड़ों के अनुसार, भारत और चीन के बीच पिछले साल द्विपक्षीय व्यापार 77.7 अरब डॉलर का रहा, हालांकि यह 2019 की तुलना में कम है। साल 2019 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 85.5 अरब डॉलर रहा था। महामारी के कारण मांग में कमी से 2020 में भारत और अमेरिका के बीच 75.9 अरब डॉलर का व्यापार हुआ।
चीन के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार घाटा 40 बिलियन डॉलर
पिछले साल सीमा तनाव के चलते मोदी सरकार ने कई चीनी ऐप सहित चीन पर निर्भरता कम करने के लिए निवेश की मंजूरी को धीमा कर दिया था। इस दौरान सरकार ने आत्मनिर्भर भारत पर काफी जोए भी दिया था। बावजूद इसके भारत चीन निर्मित भारी मशीनरी, दूरसंचार उपकरण और घरेलू उपकरण पर काफी हद तक चीन से आयात पर निर्भर है। जिसकी वजह से चीन के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार घाटा करीब 40 बिलियन डॉलर का रहा। जो भारत का किसी भी देश के साथ सबसे ज्यादा व्यापार घाटा है।
2020 में भारत का चीन से कुल 58.7 बिलियन डॉलर का आयात रहा अमेरिका और यूएई से किए गए संयुक्त आयात से ज्यादा है। अमेरिका और यूएई भारत के क्रमशः दूसरे और तीसरे सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार हैं।