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Budget 2021: आसान शब्दों में समझिए बजट को, कल दशक का पहला आम बजट होगा पेश!

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण। (फोटो...गूगल)

कल यानी 1 फरवरी को देश का आम बजट पेश किया जाएगा। जो नए दशक का पहला  बजट होने के साथ आगामी वर्षों के लिए मार्गदर्शक बजट भी रहने की उम्मीद है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण साल 2021-22 के लिए बजट पेश करेंगी। जिस प्रकार एक घर को चलाने के लिए उसके आय, व्यय आदि का लेखा-जोखा रखा जाता है। कुछ वैसे ही देश के साल भर के खर्च और विकास कार्यों के लिए बजट की व्यवस्था है। यू कहें तो सरकार अगले वित्त वर्ष के लिए हरेक मद में होने वाली सभी खर्च व आमदनी और पिछले वित्त वर्ष में हुए सभी खर्च व आमदनी का ब्यौरा संसद की पटल पर रखती है।

1 फरवरी को बजट पेश होने के बाद संसद से लेकर गांव तक राजकोषीय घाटा, विनिवेश, कैपिटल गेन्स टैक्स, पुनर्पूंजीकरण जैसे शब्द सुनाई देते हैं। लेकिन लोगों की नजर इस बात पर भी होती है कि अब उन्हें कितना टैक्स देना होगा और कौन सी चीजें सस्ती या महंगी हुई हैं। ऐसे में आपके लिए भी जरूरी है कि आप खुद भी इस बजट को समझना सीखें। इस बार बजट के लिए खास बात यह है कि इससे जुड़े सभी डॉक्युमेंट ‘इंडियाबजट’ की वेबसाइट और मोबाइल ऐप पर मौजूद होगी।

वित्त मंत्री का भाषण भी बजट डॉक्युमेंट का ही एक हिस्सा होता है और यह बेहद महत्वपूर्ण भी होता है। बजट के दो भाग होते हैं। पहले भाग में वित्त मंत्री आने वाले वित्त वर्ष के लिए उम्मीदों और रिफॉर्म्स की दिशा में काम करने का ऐलान करते हैं। इसमें किसानों, ग्रामीण क्षेत्र,  स्वास्थ्य,  शिक्षा, छोटे व मध्यम स्तर के उद्योग,  सर्विस सेक्टर,  महिलाओं,  स्टार्ट-अप, बैंक व वित्तीय संस्थान, कैपिटल मार्केट, इन्फ्रास्ट्रक्चर व अन्य योजनाओं और प्लान्स के बारे में जानकारी होती है। वित्त मंत्री द्वारा विनिवेश, राजकोषीय घाटा, सरकार बॉन्ड मार्केट के जरिए कैसे पैसे निकालेगी आदि के बारे में जानकारी दी जाती है।

बजट के दूसरे हिस्से में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर के बारे में ऐलान होता है। यही वो हिस्सा होता है, जब इनकम टैक्स स्लैब्स, कॉरपोरेट टैक्स, कैपिटल गेन्स टैक्स, कस्टम और एक्साइज ड्यूटी आदि के बारे में ऐलान किया जाता है। चूंकि, वस्तु एवं सेवा कर (GST) अब जीएसटी काउंसिल के दायरे में आता है, इसलिए यह बजट में शामिल नहीं होता है।

दूसरे हिस्से के बाद Annex आता है। इसमें टैक्स ऐलानों का ब्रेकडाउन, विभिन्न योजनाओं, प्रोग्रामों और मंत्रालयों पर खर्च होने वाली रकम के बारे में जानकारी होती है। पिछले दो साल से इसमें एक बेहद महत्वपूर्ण बात भी होती है। वो यह कि इस बार के बजट खर्च को अतिरिक्त-बजटरी रिसोर्स के जरिए कितना फंड करने के बारे में भी जानकारी होती है।

अगले वित्त वर्ष के लिए बजट में रखे गए लक्ष्यों के बारे में इसमें जानकारी होती है। इसमें टैक्स रेवेन्यू, नॉन-टैक्स रेवेन्यू, पूंजीगत व्यय और प्रशासनिक खर्चों के बारे में जानकारी होती है। इसमें वित्तीय घाटे के लक्ष्य के बारे में भी जानकारी दी जाती है। वित्तीय घाटा सरकार की कमाई और खर्च के बीच अंतर के बारे में जानकारी देता है। इसी हिस्से में आने वाले वित्त वर्ष के लिए नॉमिनल जीडीपी के लक्ष्य के बारे में भी जानकारी होती है। इस डॉक्युमेंट में ईंधन, उर्वरक और खाद्य सब्सिडी के बारे में भी जानकारी होती है। इसमें बताया गया होता है कि केंद्र सरकार अपनी कमाई का कितना हिस्सा विभिन्न योजनाओं के लिए राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को जारी करेगी। इसमें दो तरह के स्कीम्स के बारे में जानकारी होती है। पहले तो वो स्कीम्स, जिसकी फंडिंग पूरी तरह से केंद्र सरकार ही करेगी। और दूसरी सेंट्रल सेक्टर स्कीम्स, जिन्हें केंद्र व राज्य सरकारें एक साथ मिलकर फंड करती हैं।

इन डॉक्युमेंट्स में सरकार के पास आने वाले कुल राजस्व व खर्च के बारे में विस्तृत जानकारी होती है। रेवेन्यू बजट ब्रेकडाउन में इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स, जीएसटी, एक्साइज ड्यूटी आदि के जरिए आने वाले राजस्व के बारे में जानकारी होती है। जबकि, नॉन-टैक्स रेवेन्यू में विनिवेश, निजीकरण, टेलिकॉम, एविएशन व अन्य तरह के रेवेन्यू होते हैं। व्यय वाले हिस्से में मंत्रालय के हिसाब से बजट साइज की जानकारी होती है। इसके अलावा यहां पर ये भी जानकारी मिलती है कि केंद्र सरकार कहां-कहां खर्च करने वाली है। इसमें डिफेंस अधिग्रहण, मनरेगा, पीएम-किसान, प्राइमरी शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशासनिक खर्च, इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर होने वाला खर्च आदि शामिल होता है।

बजट भाषण एक लंबी प्रक्रिया कि बस शुरुआत ही होती है। मनी बिल (Money Bill) होने के नाते बजट को लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में पास होना अनिवार्य है। लोकसभा और राज्यसभा में इसपर विस्तृत बहस होती है और वित्त मंत्री सभी सवालों के जवाब देती हैं। दोनों सदनों में पास होने के बाद ही इसे फाइनेंस बिल कहते हैं जोकि आगे चलकर कानून का रूप लेता है। इसके लिए आरबीआई एक्ट,  इनकम टैक्स एक्ट, कंपनीज एक्ट, बैंकिंग रेग्युलेशन एक्ट आदि में संशोधन भी करना होता है। फाइनेंस बिल/एक्ट ही बजट को कानूनी वैधता देता है।

इनके अलावा भी कई तरह के डॉक्युमेंट्स होते हैं, जिनमें फिस्कल रिस्पॉन्सिबिलिटी और बजट मैनेजमेंट एक्ट (Budget Management Act) के तहत जानकारी होती है। मध्यावधि वित्तीय नीति के लिए सरकार राजकोषीय घाटा, राजस्व घाटा, कुल टैक्स व नॉन-टैक्स रेवेन्यू और अगले दो साल के लिए केंद्र सरकार पर कर्ज के बारे में जानकारी होती है। यह आने वाले वित्तीय वर्ष के आगे की जानकारी होती है। इसमें वैश्विक और भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर अनुमान भी शामिल होता है। इन्हीं आधार पर अगले वित्त वर्ष के लिए बजट तैयार किया गया होता है।