शेयर बाजार या जिंस एक्सचेंज से जुड़े कारोबार को लेकर लोग कन्फ्यूजन में है कि क्या इसमें भी लेनदेन को लेकर टीडीएस काटा जाएगा। इस कन्फ्यूजन को लेकर आयकर विभाग ने बयान जारी किया। आयकर विभाग ने साफ किया कि शेयर एवं कमोडिटी खरीदने पर किसी तरह का टीडीएस ना काटा जाएगा, फिर चाहे उसकी कीमत 50 लाख रुपए से ज्यादा ही क्यों ना हो। इसको ललेकर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने निर्देश जारी किए है। सीबीडीटी के मुताबिक, 10 करोड़ रुपए से ज्यादा का टर्नओवर करने वाला कारोबार एक वित्त वर्ष में 50 लाख से ज्यादा का सामान खरीद का भुगतान करता है।
उस पर 0.1 फीसदी का टीडीएस काटा जाएगा। वहीं सीबीडीटी की ओर से साफ किया गया है कि ये प्रावधान किसी शेयर या कमोडिटी को खरीदने पर लागू नहीं होगा। आयकर विभाग की ओर से मिली जानकारी के अनुसार, उन्हें इस बारे में कई रिप्रेजेंटेशन मिले। जिसमें कुछ एक्सचेंजों और क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन के माध्यम से ट्रांजेक्शन के मामले में आयकर अधिनियम की धारा 194 क्यू में शामिल टीडीएस के नियमों को लागू करने में व्यावहारिक कठिनाइयां हैं। इसका कारण बताते कहा गया है क इस तरह के ट्रांजैक्शंस में खरीदारों ओर विक्रेताओं के बीच कोई वन-टू-वन कॉन्ट्रैक्ट देखने को नहीं मिला है।
आपको बता दें कि आयकर विभाग ने 1 जुलाई 2021 से टीडीएस के लिए नए प्रावधान को लागू किया है, जो कि 10 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाले व्यवसायों पर लागू होगा। ऐसे व्यवसायों को किसी निवासी को एक वित्त वर्ष में 50 लाख रुपये से अधिक के सामान की खरीद के लिए भुगतान करते समय 0.1 परसेंट टीडीएस काटना होगा। उन्हें इस बारे में कई अभिवेधन मिले थे, जिसमें कुछ एक्सचेंजों और क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन के जरिए लेन-देन के मामले में आईटी अधिनियम की धारा 194क्यू में शामिल टीडीएस के प्रावधानों को लागू करने में व्यावहारिक कठिनाइयां है, क्योंकि इस तरह के ट्रांजैक्शंस में खरीदारों ओर विक्रेताओं के बीच कोई वन-टू-वन कॉन्ट्रैक्ट नहीं है।
आपको बता दें कि व्यवसायों की ओर से टीडीएस कटौती से संबंधित धारा 194क्यू को 2021-22 के बजट में पेश किया गया था और यह 1 जुलाई, 2021 से लागू हो गया है। इस पर एक्सपर्ट्स का कहना है कि लेनदेन केवल GSTN सिस्टम में कैप्चर किया गया था, क्योंकि आईटी कानूनों ने कभी भी सामान की खरीद / बिक्री से जुड़े लेन-देन के डेटा को नहीं लिया है। अब इन नए टीडीएस प्रावधानों के साथ, इनकम टैक्स सिस्टम मासिक आधार पर माल के लेन-देन से जुड़े बिक्री के आंकड़ों को भी लेगा। ये नया नियम मैन्यूफैक्चरिंग और ट्रेडिंग कम्यूनिटीज पर अपनी पकड़ को सख्त करेगा, उनको निर्देश देगा कि वो टैक्स फाइलिंग के सही आंकड़े पेश करें, जिससे टैक्स कलेक्शन में भी इजाफा होगा।