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Buddha Rice: सिंगापुर में खुशबू और स्वाद बिखेरेगा ‘भगवान बुद्ध का प्रसाद’

सिंगापुर में अपनी खुशबू और स्वाद का जलवा दिखाएगा कालानमक चावल। फाइल फोटो

स्वाद और खुशबू में बेमिसाल कालानमक चावल (Kalanamak Rice) अब सिंगापुर में जलवा बिखेरेगा (Singapore)। भगवान बुद्ध का प्रसाद (Prasad of Bhagwan Buddh) माने जाने वाले कालानमक की 20 टन की पहली खेप मार्च में सिंगापुर जाएगी। 'बुद्धा राइस' (Buddha Rice) के नाम से ब्रांडिंग किए जा रहे इस चावल को बौद्ध देशों में भगवान बुद्ध द्वारा भिक्षुओं को प्रसाद के रूप में दान किए गए चावल के रूप में पेश किया जा रहा है।

यही वजह है कि इस चावल की पैकिंग पर महात्मा बुद्ध की उक्ति, 'इस चावल की विशिष्ट महक हमेशा लोगों को मेरी (महात्मा बुद्ध की) याद दिलाएगी' भी अंकित की गई है। कालानमक चावल को मिली इस उपलब्धि से अकेले सिद्धार्थ नगर ही नहीं बल्कि भौगौलिक सम्पदा (जीआई) घोषित समान कृषि जलवायु वाले जिले गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, सिद्धार्थ नगर, संतकबीरनगर, बस्ती, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा और श्रावस्ती के भी किसानों को लाभ होगा।

कालानमक की उपज को बढ़ाने और उसके प्रसंस्करण, पैकेजिंग और ब्रांडिंग के लिए प्रदेश सरकार ने इसेसिद्धार्थ नगर का ओडीओपी घोषित किया। केंद्र सरकार ने क्लस्टर एप्रोच अपनाते हुए समान कृषि जलवायु क्षेत्र के आधार पर कालानमक को सिद्धार्थ नगर के साथ बस्ती, गोरखपुर, महराजगंज, सिद्धार्थ नगर और संतकबीर नगर का ओडीओपी घोषित किया है। ऐसे में 'बुद्घ के महाप्रसाद' का प्रसार दक्षिणपूर्व एशिया के बौद्ध देशों में कोरिया, चीन, जापान, म्यांमार, कंबोडिया, मंगोलिया, वियतनाम, थाईलैंड, श्रीलंका और भूटान तक हुआ और इन देशों से बेहतर दाम पर मांग निकली तो उन सभी जिलों में इसकी खेती को बढ़ावा मिलेगा जिनके लिए कालानमक को जीआई मिली है।

कृषि वैज्ञानिक डॉ. रामचेत चौधरी बताते हैं कि चावल की पैकिंग शुरू करा दी गई है। मार्च के आखिर तक इसे सिंगापुर भेज दिया जाएगा।

चौधरी बताते हैं कि कालानमक धान सिद्धार्थ नगर के बजहा गांव में गौतम बुद्ध के कालखंड में पैदा होता रहा है। मान्यता है कि महात्मा बुद्ध ने हिरण्यवती तट पर इसी चावल की खीर ग्रहण कर उपवास तोड़ा था और खीर श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में दिया था। कालानमक चावल का जिक्र चीनी यात्री फाहियान के यात्रा वृतांत में भी मिलता है। सिद्धार्थ नगर का बर्डपुर ब्लॉक इसका गढ़ है। मालूम हो कि सिंगापुर, थाईलैंड का पूर्वांचल से पुराना नाता है। यहां के ढेर सारे लोग वहां रहते हैं।

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम तथा निर्यात प्रोत्साहन विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. नवनीत सहगल कहते हैं कि निर्यात शीशे की खूबसूरत जार में होगा। इस पर कालानमक चावल की सभी खूबियां अंकित होंगी। पैकिंग पर छपे बारकोड को स्कैन कर इस चावल की खूबियां जान सकते हैं। शीघ्र ही अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र वाराणसी के सहयोग से सिद्धार्थनगर में अनुसंधान केन्द्र खुलेगा। शीघ्र ही स्ट्रॉबेरी महोत्सव की तर्ज पर कालानमक महोत्सव भी आयोजित होगा।