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लोन मोरेटोरियम पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, लॉकडाउन में EMI राहत लेने वालों का ब्याद नहीं होगा माफ

Supreme court

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और रिजर्व बैंक की लोन मोराटोरियम नीति में दखल देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने लोन मोराटोरियम को छह महीने और बढ़ाने से मना करते हुए कहा कि आर्थिक नीतियों से जुड़े फैसलों की न्‍यायिक समीक्षा की एक सीमा है। अदालत ने यह भी कहा कि पूरे ब्‍याज की माफी संभव नहीं क्‍योंकि इससे जमाकर्ताओं पर प्रभाव पड़ता है।

कोर्ट ने कहा कि वह आर्थ‍िक नीतियों में दखल नहीं दे सकता। जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की बेंच ने यह फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि वह इकोनॉमिक पॉलिसी मामलों में दखल नहीं दे सकता। वह यह तय नहीं करेगा कि कोई पॉलिसी सही है या नहीं। कोर्ट केवल यह तय कर सकता है कि कोई पॉलिसी कानून सम्मत हैं या नहीं।

फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार की जिम्मेदारी है कि वो आम जनता की सेहत, शिक्षा, आर्थिक स्थिति आदि पर ध्यान देते हुए बेहतर से बेहतर नीति बनाए। कोर्ट आर्थिक मामलों का विशेषज्ञ नहीं है। एक बड़ी बात है कि किसी को भी लोन मोरोटोरियम अवधि के लिए किसी को भी ब्याज पर ब्याज (Compound Interest) नहीं वसूला जाएगा।

क्या है मामला 

यह वही मामला है जिसमें सरकार ने बैंक कर्जदारों को EMI भुगतान पर बड़ी राहत दी थी। दरअसल, पिछले साल भारतीय रिजर्व बैंक ने कर्ज देने वाली कंपनियों को मोरोटोरियम देने की बात कही थी, जिसे 31 अगस्त तक भी बढ़ाया गया। साल 2020 में मार्च-अगस्त के दौरान मोरेटोरियम योजना का लाभ बड़ी संख्या में लोगों ने लिया, लेकिन उनकी शिकायत थी कि अब बैंक बकाया राशि पर ब्याज के ऊपर ब्याज लगा रहे हैं। यहीं से मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले पर सवाल पूछा था कि स्थगित EMI पर अतिरिक्त ब्याज क्यों लिया जा रहा है, तो सरकार ने अपने जवाब में कहा कि 2 करोड़ रुपए तक के कर्ज के लिए बकाया किश्तों के लिए ब्याज पर ब्याज नहीं लगाया जाएगा।