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LPG Price Hike: रसोई गैस की बढ़ती कीमतों के पीछे विदेशी हाथ, सऊदी की ये कंपनी जिम्मेदार!

एलपीजी घरेलू सिलेंडर। फाइल फोटो

एलपीजी घरेलू सिलेंडरों (LPG Cylinder Price Hike) के दाम क्यों आसमान छू रहे हैं। इस साजिश का पर्दाफाश हो गया है। बढ़ते दामों के पीछे विदेशी हाथ का खुलासा हुआ है। दरअसल, एलपीजी की कीमत इंपोर्ट पैरिटी प्राइस (IPP) के आधार पर तय की जाती है। आईपीपी का निर्धारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रोडक्ट की कीमतों से होता है। इस कैलकुलेशन के लिए सऊदी अरामको (Saudi Aramco) की कांट्रेक्ट प्राइस को बेंचमार्क माना जाता है।

क्यों बढ़ रहे हैं एलपीजी के दाम

पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। इसी क्रम में रसोई गैस की कीमतों ने भी आम लोगों को परेशान किया है। अभी हाल में फिर से एलपीजी के रेट बढ़ाए गए हैं। पिछले 10 महीने का हिसाब लगाएं तो सिलेंडर के दाम 41 परसेंट यानी कि 237.5 रुपये तक बढ़ गए हैं। इस बढ़ोतरी के पीछे देश से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय वजह जिम्मेदार हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में गैस के दाम लगातार बढ़ रहे हैं जिसका सीधा असर यहां के उपभोक्ताओं पर देखा जा रहा है।

एलपीजी की कीमत इंपोर्ट पैरिटी प्राइस (IPP) के आधार पर तय की जाती है। आईपीपी का निर्धारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रोडक्ट की कीमतों से होता है। इस कैलकुलेशन के लिए सऊदी अरामको की कांट्रेक्ट प्राइस को बेंचमार्क माना जाता है। अरामको कंपनी में गैस के दाम जिस हिसाब से बढ़ते-घटते हैं, उसी हिसाब से एलपीजी की कीमतों में बदलाव आता है। देश में एलपीजी की कीमतें आईपीपी फार्मूले से निर्धारित होती हैं और इसके लिए सऊदी अरामको की एलपीजी प्राइस, फ्री ऑन बोर्ड प्राइस, ओसन फ्रेट चार्जेज (समुद्र के रास्ते ढुलाई), कस्टम्स ड्यूटी और पोर्ट ड्यूटी (बंदरगाहों पर लगने वाला शुल्क) जिम्मेदार होते हैं।

देश में एलजीपी की कीमतें देखें तो लोकल फ्रेट चार्जेज (स्थानीय स्तर पर ढुलाई का शुल्क), बोटलिंग चार्जेज (एलपीजी सिलेंडर भरने का शुल्क), मार्केटिंग कॉस्ट, ओएमसी के लिए मार्जिन, डीलर कमीशन और जीएसटी जैसे फैक्टर से तय होती हैं। इसके अलावा करंसी में उतार-चढ़ाव भी कीमतों में बदलाव करती है। यही कारण है कि सरकार कह रही है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में गैस के दाम बढ़ने से घरेलू स्तर पर एलपीजी की कीमतें बढ़ रही हैं।

Moneycontrol की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मई 2020 में क्रूड ऑयल की कीमत औसतन 20.20 डॉलर प्रति बैरल था जो 2मार्च 2021को 64.54 डॉलर प्रति बैरल हो गया। यह इंडियन बास्केट क्रूड ऑयल की दर है। इसी तरह 2 मार्च को ब्रेंट क्रूड प्राइस 63.77 डॉलर प्रति डॉलर तक पहुंच गई जबकि अप्रैल 2020 में यह दाम 19डॉलर था। भारत में एलपीजी में 60 परसेंट ब्यूटेन और 40परसेंट प्रोपेन मिलाया जाता है। इसलिए इन दोनों की कीतमें सिलेंडर के दाम पर बड़ा प्रभाव डालती हैं।

मार्च में सऊदी अरामको ने प्रोपेन की कीमत 625 डॉलर प्रति मीट्रिक टन घोषित कर दिया है जो फरवरी महीने से 20 डॉलर प्रति मीट्रिक टन ज्यादा है। इसी तरह सऊदी अरामको ने ब्यूटेन की कीमत भी बढ़ा दी है। मार्च में ब्यूटेन की दर 595डॉलर प्रति मीट्रिक टन पहुंच गई है जो पिछले महीने से 10 डॉलर ज्यादा है। मई 2020 से देखें तो प्रोपेन की रेट में 171 परसेंट और ब्यूटेन की दर में 148परसेंट तक दाम बढ़े हैं। पिछले साल प्रोपेन का दाम 230 डॉलर प्रति मीट्रिक टन था और ब्यूटेन की दर 240डॉलर प्रति मीट्रिक टन था।