सुप्रीम कोर्ट ने देश में जीएसटी (GST) लागू करने के तरीके को लेकर नाराजगी जताते हुए कहा कि संसद की मंशा थी कि जीएसटी सिटिजन फ्रेंडली टैक्स हो, लेकिन जिस तरह से इसे देश भर में लागू किया जा रहा है, वह इसके मकसद को खत्म कर रहा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि टैक्समैन हर बिजनेसमैन को धोखेबाज नहीं कह सकता।
हिमाचल प्रदेश जीएसटी के एक प्रावधान को चुनौती वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि संसद की मंशा थी कि जीएसटी सिटिजन फ्रेंडली टैक्स स्ट्रक्चर बने। लेकिन जिस तरह से इसे देश भर में लागू कराया जा रहा है, इसका मकसद खत्म हो गया है। हिमाचल प्रदेश जीएसटी एक्ट 2017 के उस प्रावधान को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है जिसमें कहा गया है कि मामले की कार्यवाही पेंडिंग रहने के दौरान अधिकारी चाहे तो बैक अकाउंट समेत अन्य प्रॉपर्टी जब्त कर सकता है।
जीएसटी एक्ट की धारा-83 में प्रावधान है कि अगर कोई मामला पेंडिंग है और कमिश्नर ये समझा है कि सरकार के राजस्व के हित को प्रोटेक्ट करने के लिए जरूरी हो तो वह संबंधित पक्षकार की संपत्ति और बैंक अकाउंट आदि अटैच कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट में हिमाचल प्रदेश जीएसटी एक्ट की धारा-83 को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।