किसान आंदोलन कृषि कानूनों को लेकर विरोध पर उतारू विपक्षी दल बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में लिए गए फैसलों को सदन में कितना सम्मान देंगे ये तो सोमवार को संसद में दिखाई दे जाएगा। अलबत्ता राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के आवास पर हुई बैठक में तय किया गया है कि राष्ट्रपति के अभिभाषण और बजट पर बराबर 10-10 घण्टे चर्चा होगी। बैठक में यह भी तय हुआ कि सदन की कार्यवाही में अनावश्यक व्यवधान नहीं डाला जाएगा।
राज्यसभा सभापति और उपराष्ट्रपति वेकैंया नायडू ने बीएसी की बैठक रविवार को बुलाई गईथी। बीएसी की बैठक में राज्यसभा में अगले हफ्ते होने वाले कार्यों को लेकर भी चर्चा की गई। बैठक के लिए राज्यसभा के सभी फ्लोर लीडर्स को भी बुलाया गया था। फ्लोर लीडर्स की बैठक में इस बात पर चर्चा होनी है कि राज्यसभा की कार्यवाही सुचारू रूप से चले और इसमें व्यवधान उत्पन्न न किये जाए।
राज्य सभा की बिजनस एडवाइजरी कमिटी ने रविवार को यह फैसला किया। इसके पहले यह तय हुआ था कि 15 फरवरी को सत्र का पहला चरण स्थगित कर दिया जाएगा और आठ मार्च से दूसरे चरण की बैठक शुरू होगी। सत्र को दो भाग में आयोजित करने के पीछे उद्देश्या था कि संसद की स्थायी समिति के लिए विभिन्न मंत्रालयों/विभागों की अनुदान की मांगों पर विचार करना आसान हो जाए।
दो दिन पहले ही क्यों खत्म होगा पहला चरण?
निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक, बजट सत्र का पहला चरण 29जनवरी से आरंभ होकर 15फरवरी (सोमवार) को पूरा होना था। 14-15फरवरी को शनिवार-रविवार पड़ रहा है। आमतौर पर शनिवार और रविवार को सदन की बैठकें नहीं होती हैं और दोनों दिन अवकाश रहता है। ऐसा करने पर भी कामकाज के कुल दिनों की संख्या समान रहेगी। कोविड के चलते पिछले साल संसद के मॉनसून सत्र में शनिवार और रविवार को भी बैठकें हुई थीं।
इससे पहले शनिवार को बजट सत्र को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी। इस दौरान कहा गया कि चर्चा के दौरान छोटे दलों को भी अपनी बात रखने का मौका दिया जाएगा। वहीं बड़े दलों से सदन की कार्यवाही में अवरोध ना पैदा करने की अपील की गई थी। केंद्र की तरफ से यह भी कहा गया कि सरकार नए कृषि कानून पर चर्चा करने के लिए तैयार है। पीएम मोदी ने बैठक में कहा कि किसानों और सरकार के बीच बातचीत का रास्ता हमेशा खुला है। उनके और किसान के बीच एक फोन कॉल की दूरी है।
संसद के बजट सत्र के आगाज से पहले कई विपक्षी दलों ने राषट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया था। राहुल गांधी समेत कांग्रेस के कई सांसदों ने संसद परिसर में मौजूद गांधी की प्रतिमा के पास कृषि कानून को लेकर धरना दिया था।