Hindi News

indianarrative

China-Pakistan की चाल में फंसे Taliban का भारत पर ‘हमला’ देखें- कैसे निपटेगी Modi सरकार

अफगान तालिबान का भारत के खिलाफ पहला 'वार'

पाकिस्तान और चीन की चाल में फंसे तालिबान ने भारत के साथ दुश्मनी के कूटनीतिक हमले शुरू कर दिए हैं। तालिबान ने भारत से होने वाला आयात-निर्यात यानी एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बंद कर दिया है। भारत के खिलाफ इस हमले से नुकसान अफगानिस्तान का है। भारत अभी तक अफगानिस्तान को उसकी जरूरतों की चीजें भेजता रहा है। भारत अफगानिस्तान से हींग और सूखी मेवा- ड्राई फ्रूट्स ही सबसे ज्यादा खरीदता है।

भारत ने 2021 में अगर अफगानिस्ता को 83.50 करोड़ा डॉलर का निर्यात किया है तो 51 करोड़ डॉलर से ज्यादा का आयात भी किया है। तालिबान की यह भारत पर दबाव बनाने की रणनीति है। तालिबान और उसके दोस्त चीन-पाक को लगता है कि भारत इस दबाव में आकर अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार को मान्यता दे सकता है।

तालिबान को अभी यह समझ ही नहीं है कि भारत अन्य चीजों के अलावा दवाएं, शक्कर और गर्म मसाले सप्लाई करता है। बाकी चीजों पर तो समझौता हो सकता है लेकिन दवाओं के साथ समझौता कैसे होगा। पाकिस्तान के पास न फार्मा इंडस्ट्री है और न दवाएं। भारत से ट्रेड बंद रखने वाला पाकिस्तान भी भारत की दवाओं से ही जिंदा है। पाकिस्तानियों की दवाईयों की सप्लाई तो आयरन फ्रेंड चीन भी नहीं कर पाया है।

एक सच्चाई और यह है कि पाकिस्तान ने भारत से बिजनेस-ट्रेड रिलेशन भले ही खत्म कर दिए लेकिन अब पाकिस्तान दुबई के रास्ते अप्रत्यक्ष बिजनेस और ट्रेड कर रहा है। तालिबान, अफगानियों के साथ जिस तरह बर्बर कार्रवाई कर रहा है ठीक उसी तरह ट्रेड और बिजनेस में कर रह है। तालिबान को मालूम नहीं है कि बिजनैस पर रोक लगाने का असर एक पक्षीय नहीं होता।

बहरहाल, फेडरेश ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन ने उम्मीद जताई है कि अफगानिस्तान में हालात सामान्य हुए तो संभव है कि व्यापारिक रिश्ते भी ठीक हो जाएं। ध्यान रहे अफगानिस्तान में भारत 400 से ज्यादा डेवलपमेंटल प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है। इसके अलावा अफगानिस्तान में भारत ने 3 बिलियन डॉलर से ज्यादा का डायरेक्ट निवेश किया है। अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार ठीक से बनी और चलती रही तो उम्मीद है कि व्यापारिक संबंध भी बहाल हो जाएंगे।