दूरसंचार कंपनियों के लिए समायोजित सकल आय (एजीआर) पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ी राहत दी है। टेलीकॉम कंपनियों को एजीआर से संबंधित बकाया राशि चुकाने के लिए शीर्ष अदालत में दस साल का समय दिया है। कंपनियों को निर्देश दिया गया है कि 21 मार्च, 2021 तक ये अपनी कुल राशि का दस फीसदी भुगतान करेंगे।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा है कि किश्तों का भुगतान हर आगामी वर्ष की 7 फरवरी तक हो जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने दूरसंचार कंपनियों से यह भी कहा कि इसमें कोई गड़बड़ी होने पर अधिक ब्याज का भुगतान करना पड़ेगा और भुगतान न होने की स्थिति में कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा।
इसमें यह भी कहा गया कि यह वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे की इस बात पर सहमत है कि नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) को पहले यह तय करना चाहिए कि स्पेक्ट्रम संकल्प की कार्यवाही का विषय हो सकता है या नहीं।
सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि एजीआर पर बकाए का भुगतान करने के लिए बीस साल की समय सीमा तय करने की बात सही है। क्योंकि वोडाफोन आइडिया की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने 58,000 करोड़ रुपये की एजीआर बकाया राशि की मांग को स्वीकार कर लिया। रोहतगी ने कहा कि इसे चुकाने व शीर्ष अदालत के निर्णय का मान रखने का एक ही तरीका है और वह ये कि उन्हें बीस साल की समयावधि दी जाए। हालांकि, वह बाद में 15 साल की समयावधि के लिए तैयार हो गए। यहां तक कि एयरटेल ने भी एजीआर बकाया चुकाने के लिए 15 साल मांगे हैं।
केंद्र ने शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि मंत्रिमंडल ने इस मुद्दे पर विचार करते हुए बीस साल की समयावधि पर फैसला किया है और यह राहत अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ने के मद्देनजर प्रदान की गई है।.