बॉलीवुड के सुपरस्टार आमिर खान (Aamir Khan) की सुपरहिट फिल्म 'लगान' (Lagaan) को आज 20 साल पूरे हो गए है। साल 2001 में 15 जून के ही दिन ये फिल्म रिलीज हुई थी और इसे भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी काफी पसंद किया गया था। 20 साल पूरे होने की खुशी में आमिर खान ने मीडिया से बात की और फिल्म से जुड़े दिलचस्प किस्से सुनाए। साथ ही घर में चल रही आर्थिक परेशानियों के बारे में भी बताया। आमिर खान ने कहा कि उन्होंने बचपन में अपने पिता को आर्थिक तंगी से गुजरते देखा है। कई परेशानियों के चलते वो कभी भी पैसा नहीं जुटा पाते थे।'
आमिर खान ने बताया कि उनके पिता ताहिर हुसैन की फिल्म 'लॉकेट' 8 साल में बनकर तैयार हुई थी। कभी तारीख की दिक्कत आती तो कभी एक्टर्स की। इसके लिए पिता के ऊपर काफी कर्जा हो गया था। मैंने अपने पिता को आर्थिक तंगी से जूझते देखा है। हम लगभग बैंकरप्ट हो गए थे और एक समय ऐसा भी था जब हम सड़क पर आ गए थे। लोग मेरे पिता को पैसे लौटाने के लिए फोन करते थे. जबकि उनके पिता ने फिल्मों में अपना सारा पैस लगा दिया था और उस वक्त परेशानियों से घिरे थे। मेरी मां रात में जगी हुई थी और लाइट जल रही थी। मेरे पिता ने अपना कबर्ड खोल रखा था और वे कुछ ढूंढ रहे थे।
20 years of #Lagaan which released on June 15, 2001. The #AamirKhan classic was one of the first films to open at newly renovated #Sathyam in #Chennai. Saw FDFS 1PM, when balcony ticket was ₹45! pic.twitter.com/oERv7qlHcI
— Sreedhar Pillai (@sri50) June 15, 2021
उन पलों को याद करते हुए आमिर खान ने आगे बताया कि 'मेरी मां ने उनसे पूछा कि वे क्या ढूंढ रहे हैं, ऐसा क्या हो गया रात को। तो इसपर मेरे पिता ने जवाब दिया- 'मुझे नौकरी तलाश करने की और पैसे कमाने की जरूरत है इसलिए मैं अपना ग्रेजुएशन सर्टिफिकेट ढूंढ रहा हूं। एक 40 साल का आदमी अपनी पत्नी को कहता है कि वो अपनी ग्रेजुएशन सर्टिफिकेट ढूंढ रहा है, नौकरी के लिए- ये स्थिति हो गई थी।' ये वही समय था जब आमिर के पिता ने प्रोड्यूसर ना बनने का फैसला किया, पर किस्मत में कुछ और ही था। आमिर ने बताया कि उनके पिता ने भले ही आगे से प्रोड्यूसिंग लाइन में इन्वेस्ट ना करने का फैसला लिया हो लेकिन वे अंत में एक प्रोड्यूसर ही बने।
आपको बता दें कि आमिर ने भी लगान में बतौर प्रोड्यूसर पहली बार काम किया था। उन्होंने बताया कि आशुतोष ने कहा एक बार और सुन ले तो ऐसे कर कर के मैंने 4 बार उससे कहानी सुनी और मुझे कहानी बहुत पसंद आई, लेकिन समस्या ये थी कि अब इसे प्रोड्यूस कौन करेगा तो मैंने आशुतोष से कहा कि जा कोई प्रोड्यूसर ढूंढ और उसको ये मत बताना की मैंने ऑलरेडी फिल्म करने के लिए हां कर दी है। मैं नहीं चाहता था कि कोई प्रोड्यूसर मेरे नाम की वजह से इस फिल्म से जुड़े, लेकिन फिर बात नहीं बनी और इन सबको डेढ़ दो साल बीत गए। मेरा मन बार-बार कह रहा था कि ये फिल्म थोड़ी मुश्किल जरूर है पर बननी चाहिए और आखिर में मैंने ये फैसला किया कि मैं ही इसमें एक्टिंग करूंगा और मैं ही इस फिल्म को प्रोड्यूस भी करूंगा।