टी सीरीज के मालिक गुलशन कुमार हत्याकांड में बॉम्बे हाईकोर्ट ने दोषी रउफ मर्चेंट की सजा कायम रखी। ये सुनवाई जस्टिस जाधव और जस्टिस बोरकर की बेंच ने की। आपको बता दें कि आरोपी रऊफ मर्चेंट को आईपीसी की धारा 302, 307 और 34 के तहत दोषी पाया गया। इसी आधार पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने उसकी उम्रकैद की सजा बरकरार रखी। वहीं रमेश तौरानी के खिलाफ कोई सबूत नहीं होने के चलते उसे मामले में बरी कर दिया गया। 12 अगस्त 1997 को गुलशन कुमार मंदिर से घर लौटकर जा रहे थे तभी कुछ बदमाशों ने गुलशन कुमार पर गोलियां बरसा दीं थीं। करीब 24 साल बाद इस मामले में कोर्ट अपना फैसला सुनाया है।
इस मामले में एक अन्य आरोपी अब्दुल राशिद को बॉम्बे हाईकोर्ट ने दोषी ठहराया है। उसे पहले सेशन कोर्ट ने बरी कर दिया था, दाऊद के गुर्गे अब्दुल रशीद को बॉम्बे हाईकोर्ट ने दोषी ठहराए हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। गुलशन कुमार मर्डर केस को लेकर हाईकोर्ट में कुल चार अपीलें सूचीबद्ध थीं, जिनमें तीन अपीलें हत्या के आरोपी राउफ मर्चेंट, राकेश खाओकर के खिलाफ है। वहीं एक अपील महाराष्ट्र सरकार की थी। ये बॉलीवुड प्रोड्यूसर रमेश तौरानी को बरी करने के खिलाफ थी। उनपर हत्या के लिए उकसाने का आरोप था, जिससे उनको बरी कर दिया गया था।
मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने साफ कहा कि राउफ मर्चेंट किसी तरह की उदारता का हकदार नहीं है क्योंकि वो पहले भी पैरोल के बहाने बांग्लादेश भाग गया था। आपको बता दें कि मर्चेंट को गुलशन कुमार हत्या के केस में कोर्ट ने दोषी ठहराया था। अप्रैल 2002 में उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी और साल 2009 में उसे बीमार मां से मिलने के लिए पैरोल मिली थी। इसी दौरान वो बांग्लादेश भाग गया, हालांकि बाद में बांग्लादेश पुलिस ने उसे फर्जी पासपोर्ट मामले में अरेस्ट किया। मर्चेंट को बांग्लादेश में अरेस्ट करने के बाद पहले गाजीपुर के काशिमपुर जेल में रखा गया।
आपको बता दें कि टी-सीरीज के संस्थापक गुलशन कुमार की 12 अगस्त, 1997 को जूहू इलाके में हत्या कर दी गई थी। घटना का अंजाम बदमाशों ने तब दिया जब वो रोज की तरह पश्चिमी मुंबई केअंधेरी इलाके में जीतनगर स्थित जीतेश्वर महादेव मंदिर में सुबह 8 बजे पूजा करने पहुंचे थे। तभी मंदिर के बाहर उनके शरीर को 16 गोलियों से छलनी कर दिया गया था। उनकी हत्या की खबर से पूरे बॉलीवुड में सनसनी फैल गई थी। कहा जाता है कि ये हत्या सिंगर नदीम के इशारे पर की गई। इंडस्ट्री में नाम घटने का गुस्सा नदीम के दिमाग पर इस कदर हावी हुआ कि उसने गुलशन कुमार की हत्या कराने का मन बना लिया था।
इस काम के लिए उसने अंडरवर्ल्ड का सहारा लिया। उन दिनों बॉलीवुड पर अंडरवर्ल्ड का सीधा प्रभाव था। दाऊद इब्राहिम दुबई से अपना धंधा चलाता था और अबू सलेम उस वक्त दाऊद का गुर्गा था। नदीम का फोन जाने के बाद उसने दुबई में एक मीटिंग की और गुलशन कुमार को फोन किया। अबू सलेम ने गुलशन कुमार को दस करोड़ रुपए की फिरौती मांगी। गुलशन कुमार ने घबराकर ये बात अपने छोटे भाई किरण कुमार को बताई। बताया जाता है कि उससे थोड़े दिन पहले ही गुलशन कुमार ने कथित तौर पर एक किश्त दाऊद गैंग को दी थी। वो फिर से अब उसे पैसा नहीं देना चाहते थे,इसलिए उन्होंने इस धमकी पर चुप लगा जाना ही बेहतर समझा।
जब अबू सलेम को ये पैसा तय वक्त पर नहीं मिला तो उसने तय कर लिया कि गुलशन कुमार की हत्या करनी पड़ेगी। तीन शूटर इसके लिए रखे गए और उन्होंने जुहू के एक मंदिर के बाहर एक 12 अगस्त 1997 की सुबह गोली चला दी। गुलशन उस वक्त वहां से पूजा करके निकल रहे थे। गुलशन के सिर में गोली लगी उन्होंने बचने की कोशिश की तो बाकी दो शूटर्स ने उन पर 16 गोलियां दाग दीं। उनके ड्राइवर ने उन्हें बचाने की कोशिश की तो शूटर्स ने उसे भी गोली मार दी। जिसके बाद गुलशन कुमार को अस्पताल ले जाया गया लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो चुकी थी।