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राज्यसभा सांसद रहते Lata Mangeshkar ने न तो कभी वेतन लिया और न ही बंगला- सारे चेक को कर दिए थे वापस

राज्यसभा सांसद के तौर पर न कभी वेतन लिया और ना ही बंगला

स्वर कोकिला और स्वर सामग्री जैसे खिताबों से नवाजी गई पार्श्व गायिका लता मंगेश्कर अब हमारे बीच नहीं हैं। 92 की साल में उन्होंने 6 फरवरी 2022 को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांस ली। उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। भारत के गायकी क्षेत्र में लता मंगेशकर के जाने से एक युग समाप्त हो गया है। उन्होंने अपने जीवन में 30 हजार से भी ज्यादा गानों को अपनी आवाज दी है। लता मंगेशकर के बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं कि जब वो राज्यसभा सांसद थी तब उन्होंने इस दौरान सांसद के तौर पर एक रुपये का भी वेतन भत्ता नहीं लिया था। यहां तक कि उन्होंने दिल्ली में सांसद के तौर पर मिलने वाले आलीशान बंगलो को भी ठुकरा दिया था।

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लता मंगेशकर के जाने के बाद लोग गायकी के साथ उनके सांसदीय सफोर को भी याद कर रहे हैं। उन्होंने 1999 से 2005 तक राज्यसभा सांसद के तौर पर देश की सेवा की थी। उन्हें 22 नवंबर, 1999 को राज्यसभा का मनोनीत संसद सदस्य घोषित किया गया था। अपने 6 सालों के कार्यकाल में उन्होंने वेतन के भेजे गए चेक्स को कभी स्वीकार नहीं किया और हमेशा वापस भेज दिया। एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा दायर की गई आरटीआई के तहत यह खुलासा हुआ था।

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आरटीआई के बात इस बात का खुलासा हुआ कि लता मंगेशकर के वेतन से संबंधित मामले में वेतन-लेखा कार्यालय से लता को भेजे गए सभी चेक वापस आ गये। इसके अलावा उन्होंने कभी भी सांसद पेंशन के लिए भी आवेदन नहीं किया था। यहां तक कि नई दिल्ली में सांसदों को दिए जाने वाले घर को भी उन्होंने ठुकरा दिया था। बता दें कि, लता मंगेशकर पहली भारतीय हैं जिन्होंने प्रतिष्ठित रॉयल अल्बर्ट हॉल, लंदन में परफॉर्म करने का सम्मान प्राप्त है। इसके अलावा 2007 में फ्रांस की सरकार ने उन्हें 'लीजन ऑफ ऑनर के अधिकारी' से सम्मानित किया गया है, जो देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है।