हिंदी सिनेमा के सुरों के बेताज बादशाह मोहम्मद रफी की आज पुण्यतिथि है। 31 जुलाई 1980 को मोहम्मद रफी हमेशा के लिए इस दुनिया से चले गए थे। उन्होंने म्यूजिक की दुनिया में नाम और सम्मान दोनों खूब कमाया। रफी साहब ने अपने करियर में करीब 25 हजार से ज्यादा गाने गाए। मोहम्मद रफी हिंदी सिनेमा के सबसे दयालु और बेहतरीन कलाकार थे।
वो गाना पैसों के लिए नहीं बल्कि शौक के लिए गाया करते थे। कभी कभी तो वो आकर गाना गा दिया करते थे और फीस के नाम पर सिर्फ एक रुपये ही लेते थे। उनकी पुण्यतिथि पर आज हम आपको महोम्मद रफी के बारे में कुछ खास बातें बताएंगे।
On 31 July 1980 Mohammed Rafi breathed his last.
May Allah be pleased with his earthly life and deeds and privileges his soul with the most elevated abode in Jannat-ul-Firdous. #MohammadRafi pic.twitter.com/2wmugCBEfj
— Muslims of India (@WeIndianMuslims) July 31, 2021
रफी साहब ने नौशाद ने फिल्म 'बैजू बावरा' के लिए गाने गाकर अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने किशोर कुमार की फिल्मों के लिए भी करीब 11 गाने गाए। रफी साहब जब फिल्म 'नील कमल' का गाना 'बाबुल की दुआएं लेती जा' गाना गा रहे थे, उस वक्त उनकी आंखों में आंसू आ गए।
दरअसल, उस वक्त इस गाने के ठीक एक दिन पहले उनकी बेटी की सगाई हुई थी और इसलिए वो बेहद भावुक हो गए थे। इस गीत के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। रफी साहब को 6 फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिले थे। इसके अलावा उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था।
So many countless melodies, a mellifluous voice that's God's gift, a legend that continues to both amaze & attract music lovers all over the world even on his 41st death anniversary. #MohammadRafi saab is timeless& will live on forever in our hearts! My humble remembrances! pic.twitter.com/iPDaGBOFEb
— Ramya Varma 😇 (@rvarma83) July 31, 2021
उन्होंने कई भाषाओं में गाना गाया। जिसमें आसामी, कोकणी, पंजाबी, उड़िया, मराठी, बंगाली के साथ साथ स्पेनिश और अंग्रेजी भी शामिल है। मोहम्मद रफी ने सबसे ज्यादा गाने लता मंगेशकर के साथ गाए हैं। लता जी ने कई बार इंटरव्यू में रफी साहब को लेकर कहा है कि 'ये मेरी खुशकिस्मती है कि मैंने उनके साथ सबसे ज्यादा गाने गाए। गाना कैसा भी हो वो ऐसे गा लेते थे कि गाना ना समझने वाला भी वाह वाह कर उठता था'।
मोहम्मद रफी ने अपने निधन से पहले एक गाना रिकॉर्ड किया था जिसके बोल थे 'शाम फिर क्यों उदास है दोस्त'। किसी को भी नहीं पता था कि ये उनकी जिंदगी का आखिरी गीत होगा। 31 जुलाई को रफी साहब को हार्ट अटैक आया था जिसके चलते उनका निधन हो गया था।