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श्रद्धांजलि: कोरोना ने तोड़ी ‘नदीम-श्रवण’ की जोड़ी, कोविड से श्रवण राठौर का निधन, जानिए उनसे जुड़ी सभी बातें

photo courtesy times of india

कोरोना वायरस ने म्यूजिक की दुनिया की मशहूर जोड़ी नदीम-श्रवण की जोड़ी को तोड़ दिया है। म्यूजिक डायरेक्टर श्रवण राठौर का कोरोना वायरस के कारण निधन हो गया है। श्रवण को 2 दिन पहले ही गंभीर हालत में हॉस्पिटल में भर्ती थे। श्रवण कई और गंभीर बीमारी के भी मरीज थे। वो शुगर के पेशेंट थे। शुगर के खिलाफ लड़ रहे ये लड़ाई के दौरान कोरोना ने उन्हें जकड़ लिया और आखिर में वो जिंदगी की जंग में हार गए। 66 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली। श्रवण के निधन की पुष्टि डायरेक्टर अनिल शर्मा ने सोशल मीडिया पर की है।

श्रवण के निधन के बाद उनके दोस्त नदीम सैफी बेहद दुखी हैं। नदीम ने एक वेबसाइट से बात करते हुए कहा- 'मेरा शानू नहीं रहा। हम लोगों ने साथ में पूरी जिंदगी देखी। हमने अपनी सफलता और अपनी असफलताएं साथ देखीं। हम लोग एक-दूसरे के साथ बड़े हुए थे। हमारा संपर्क कभी नहीं टूटा था और हमें कभी कोई अलग भी नहीं कर सकता। मैं बहुत दुखी हूं। मैं खुद को बहुत असहाय महसूस कर रहा हूं क्योंकि मैं श्रवण के परिवार की मदद करने और उसे आखिरी विदाई देने के लिए भी नहीं पहुंच सकता।' ये कहते हुए वो रो पड़े।

श्रवण राठौर के साथ-साथ उनकी पत्‍नी और बेटा भी कोरोना संक्रमित हैं। दोनों शहर के दूसरे अस्‍पताल में भर्ती है। ये मजबूरी है कि दोनों चाहकर भी श्रवण के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाएंगे। श्रवण ने 'फूल और कांटे' और 'आश‍िकी' जैसे सुपरहिट फिल्‍मों में ब्‍लॉकबस्‍टर म्‍यूजिक दिया। उनका जन्‍म 13 नवंबर 1954 को पंडित चतुर्भुज राठौर के घर हुआ। परिवार संगीत से जुड़ा हुआ था ऐसे में बचपन से ही श्रवण राठौर को संगीत में काफी रूचि रही। श्रवण राठौर की पत्‍नी बॉलिवुड पार्टियों में अक्‍सर नजर आती थीं। श्रवण राठौर की पत्‍नी भी कोरोना संक्रमित है और वो मुंबई के सेवेन हिल्‍स अस्‍पताल में बेटे के साथ भर्ती है।

श्रवण राठौर के दो बेटे हैं संजीव राठौर और दर्शन राठौर। दोनों 'संजीव-दर्शन' के नाम से फिल्‍मों में संगीत देते है। पिता की राह पर आगे बढ़कर ही दोनों बेटे भी म्‍यूजिक कंपोजर बने है। संजीव-दर्शन ने 'एनएच 10', 'ग्रैंड मस्‍ती' और 'बेइमान लव' जैसी फिल्‍मों में संगीत दिया है। श्रवण राठौर की ईश्‍वर में गहरी आस्‍था थी। वो हर दिन पूजा करते थे। उनका मानना था कि मन और चित्त शांत रहने पर ही संगीत की सच्‍ची साधना हो सकती है। ये बात उन्‍होंने अपने एक पुराने इंटरव्‍यू में कही थी।