भारतीय सिनेमा की 'क्वीन ऑफ मिसरी' निरूपा रॉय अगर आज हमारे बीच होती तो 91 साल की हो गई होतीं। उनका जन्म 4 जनवरी 1931 को गुजरात के वलसाड में हुआ था। उनका असली नाम कोकिला किशोरचंद्र बुलसारा था। निरुपा रॉय ने पर्दे पर मां के इतने किरदार निभाए कि वो फिल्मों की पसंदीदा मां बन गई थीं। लोग उन्हें 'मां' के किरदार के कारण ही जानते हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि उन्होंने अपनी फिल्म करियर की शुरुआत बतौर लीड एक्ट्रेस से की थी। निरूपा राय की गिनती बॉलीवुड की सबसे संजीदा एक्ट्रेस में होती है।
निरूपा जब स्कूल में थीं, तभी उनके पिता ने उनकी शादी कमल रॉय से कर दी। उस वक्त निरूपा की उम्र महज 14 साल थी। निरूपा रॉय का फिल्मों में आना महज एक संयोग था। दरअसल निरूपा रॉय के पति कमल रॉय एक्टर बनना चाहते थे। साल 1983 में निरूपा रॉय ने फिल्मफेयर मैगजीन में दिए इंटरव्यू में बताा कि एक बार उनके पति ने गुजराती न्यूज पेपर में एक्टर के लिए विज्ञापन देखा तो वो ऑडिशन देने के पहुंच गए। कमल ने वहां रोल देने की विनती की, लेकिन वहां मौजूद बीएम व्यास ने मना कर दिया। बीएम व्यास ने कहा- 'अगर आप चाहें तो आपकी पत्नी को फिल्मों में काम मिल सकता है।'
ये सुनते ही उनके पति ने तुरंत हामी भर दी। इस तरह निरूपा रॉय की इंडस्ट्री में एंट्री हो गई और वो कोकिला से दुनिया के लिए निरूपा रॉय बन गई। उन्होंने अपने करियर में निरूपा रॉय ने 275 से ज्यादा फिल्में कीं। करीब 40 धार्मिक फिल्में कीं। उस वक्त धार्मिक फिल्मों की वजह से उनकी छवि ऐसी बन गई थी कि उन्हें देखने के लिए लोग दूर-दूर से घर तक पहुंच जाते थे और उनसे मुलाकात के वक्त पैर छूकर आशीर्वाद लेते थे। 1975 में रिलीज हुई फिल्म 'दीवार' निरूपा की खास फिल्मों में से एक रही। इसके बाद खून पसीना, मुकद्दर का सिकंदर, अमर अकबर एंथोनी, मर्द और गंगा-जमुना-सरस्वती जैसी फिल्मों में भी वो अमिताभ की मां के रोल मे दिखाई दीं। निरूपा रॉय का निधन 13 अक्टूबर 2004 में कार्डिएक अरेस्ट से हुआ। उस वक्त उनकी उम्र 73 साल थी।