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ये है 56 इंच की छाती, भारत की कोरोना वैक्सीन खरीदने दौड़ पड़ी दुनिया!

ये है 56 इंच की छाती, भारत की कोरोना वैक्सीन खरीदने दौड़ पड़ी दुनिया!

इसे कहते हैं 56 इंच की छाती। दुनिया आज भारत की शरण में है। दुनिया की बादशाहत भारत के नाम लिखे जाने से चीन छटपटा रहा है। जिस वैक्सीन को बनाने की दावा दुनिया के तमाम बड़े देश कर रहे थे उस कोरोना वैक्सीन को न केवल बना दिया बल्कि सबसे कम दामों में दुनिया के सामने रख दिया है। चीन ने सितम्बर महीने से कोरोना वैक्सीन बनाने का राग अलापना शुरू कर दिया था, लेकिन आज शी जिनपिंग हाथ मलते रहे गए। क्यों कि बाजी भारत के हाथ लग चुकी है। दुनिया भर के 60 देशों के प्रतिनिधि भारत की कोरोना वैक्सीन को देखने हैदराबाद पहुंच चुके हैं। इनमें से लगभग सभी ने कोरोना वैक्सीन खरीदने की इच्छा जाहिर की है।

आज सुबह की यह तस्वीर कोरोना वैक्सीन पर भारत की बादशाहत की तस्वीर है। ब्रिटेन में कोरोना वैक्सीन भले ही लगनी शुरू हो गई है, लेकिन दुनिया की नजरें भारत पर टिकी हैं। इसकी बड़ी वजह यह कि कोरोना वैक्सीन की टोकरी भारत के हाथ में है। यह टोकरी है हैदराबाद में। दुनिया के 60 देशों के राजनयिक शहर में मौजूद हैं।

भारत बायोटेक देसी कोरोना वैक्सीन को कोवैक्सीन पर काम कर रहा है। जबक हैदराबाद स्थित फर्म बायोलॉजिकल ई लिमिटेड (बीई) ने जॉनसन एंड जॉनसन के COVID-19 वैक्सीन की निर्माण क्षमताओं को बढ़ाने के लिए फार्मा प्रमुख जॉनसन एंड जॉनसन के हिस्से जानसेन फार्मास्युटिका NV के साथ एक समझौता किया है।

दुनिया के देशों को  कम दाम में एक कारगर कोरोना वैक्सीन की तलाश है। इसकी खोज उन्हें भारत तक ले आई है। करीब एक महीने पहले विदेश मंत्रालय ने 190 से ज्यादा राजनयिक मिशनों और प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठनों को कोविड-19 से संबंधित मुद्दों पर जानकारी दी थी। विदेश मंत्रालय की कोविड-19 ब्रीफिंग पहल के तहत भारत में विदेशी मिशनों के प्रमुखों को हैदराबाद ले जाया जा रहा है। उन्हें दूसरे शहरों में भी ले जाया जाएगा

भारत पहले ही घोषणा कर चुका है कि उसके वैक्सीन के उत्पादन और वितरण क्षमता का उपयोग कोविड-19 महामारी से लड़ने में मानवता की मदद करने के लिए किया जाएगा और वह अन्य देशों की कोल्ड स्टोरेज तथा भंडारण क्षमता को बढ़ाने में मदद करेगा। भारत दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन बनाने वाला देश है।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान वैक्सीन को लेकर दुनिया में भारत की अहमियत का जिक्र किया था। उन्होंने बताया था कि भारतीय टीके को न केवल अच्छे स्वास्थ्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण मानता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर बेहतरी के लिए भी इसे जरूरी समझता है और वायरस के खिलाफ सामूहिक लड़ाई में यह भारत का दायित्व है कि वह अपने पड़ोसी देशों सहित अन्य देशों का भी सहयोग करे।.