अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के निदेशक डायरेक्टर गुलेरिया का कहना है कि COVID-19 का टीका 8 से 10 महीने तक संक्रमण से पूरी सुरक्षा देने में सक्षम हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि टीके का कोई बड़ा दुष्प्रभाव सामने नहीं आया है। गुलेरिया ने आईपीएस (सेंट्रल) एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, "Covid – 19टीका आठ से दस महीने और शायद इससे भी ज्यादा समय तक संक्रमण से पूरी सुरक्षा दे सकता है।"
उन्होंने कहा कि मामलों में उछाल का सबसे बड़ा कारण यह है कि लोगों को लगता है कि महामारी खत्म हो गई है और वे कोविड से बचाव के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। अधिकारी ने कहा, "संक्रमण में वृद्धि के कई कारण हैं, लेकिन मुख्य कारण यह है कि लोगों के रवैये में बदलाव आया है और उन्हें लगता है कि कोरोना वायरस खत्म हो गया है। लोगों को अभी भी कुछ और समय के लिए गैर-जरूरी यात्रा को स्थगित करना चाहिए।"
क्यों बढ़ रहे हैं कोरोना केस
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल का कहना है कि संक्रमण की श्रृंखला को रोकना होगा और इसके लिए टीका एक उपकरण है, लेकिन दूसरा है रोकथाम और निगरानी रणनीति।
लेकिन मौजूदा समय में कुछ लोगों को ये लगने लगा है कि कोरोना का संक्रमण कम हो गया है और वो अब लापरवाही बरत रहे हैं जो बिल्कुल गलत है। वहीं, अधिक लोगों का टीकाकरण करने के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में, पॉल ने कहा कि फिलहाल टीकाकरण सीमित है और यही कारण है कि प्राथमिकता तय की गई है।
सप्लाई बढ़ेगी तो बढ़ेगा टीकाकरण
वी के पॉल का ये भी कहना है कि मौजूदा समय में हमारे पास सीमित सप्लाई है। और यही कारण है कि अभी सभी को टीका नहीं दिया जा रहा है। लेकिन जैसे ही सप्लाई बढ़ेगी वैसे ही टीकाकरण के काम में भी तेजी आ जाएगी। साथ ही वी के पॉल का ये भी कहना था कि सबसे ज्यादा मृत्यु दर वृद्धावस्था वाले लोगों में देखी गई। उन्होंने कहा, "इन लोगों को टीके लेने में देरी नहीं करनी चाहिए। इसलिए संदेश यह है कि उन्हें इसकी आवश्यकता दूसरों की तुलना में अधिक है। यही कारण है कि उन्हें कोविड-19टीके देने में प्राथमिकता दी गई है।''
चार करोड़ से अधिक का हो चुका है टीकाकरण
उपलब्ध कोविड-19 टीकों- कोवैक्सीन और कोविशील्ड की प्रभावशीलता के बारे में बात करते हुए गुलेरिया ने कहा, ''अगर हम दोनों टीकों को देखें, तो वे एक समान एंटीबॉडी का उत्पादन करते हैं और बहुत मजबूत हैं। हमें हमारे पास उपलब्ध टीके लगवाने चाहिए क्योंकि प्रभावकारिता और दीर्घकालिक सुरक्षा के संदर्भ में दोनों टीके समान रूप से प्रभावी हैं।'' देश में अब तक चार करोड़ से अधिक लोगों को टीके लगाए जा चुके हैं।