Hindi News

indianarrative

आप में Corona के लक्षण हैं, अपना इलाज खुद करने वाले हो तो देश के सबसे बड़े डॉक्टर की ध्यान से सुन लो, वरना बचोगे नहीं, चल बसे हो जाओगे!

कोरोना का नीम-हकीम इलाज मतलब खतरा-ए-जान

कोरोना महामारी के बीच लोगों में यह धारणा बनती जा रही है कि इम्युनिटी बढ़ो लो तो कोरोना का असर नहीं होगा। अगर हुआ भी तो कम होगा। जान बच जाएगी। बस यही सोच कर लोग अपने अधपके ज्ञान और कुछ गूगल से जानकारी हासिल कर मेडिसिन लेना शुरू कर दते हैं। शुरूआती दौर में मेडिसिन का तुरंत फायदा दिखाई देता है लेकिन डॉक्टरी परामर्श के बिना ली गई मेडिसिन से नुकसान भी होता तो फिर जान पर बन आती है।

इसी बात की आशंका के मद्देनजर AIIMS के निदेशक डॉक्टर आर गुलेरिया ने कहा है कि इंटरनेट पर शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने वाली तमाम दवाओं की जानकारी है। कुछ नीम-हकीम भी इंटरनेट पर कोरोना के इलाज के नाम पर मौत बांट रहे है। डॉक्टर गुलेरिया ने कहा है कि शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए तमाम तरह के स्टेरॉयड दिए जाते हैं। लेकिन अगर ये स्टेरॉड डॉक्टरों के परामर्श के बिना और जरूरत से ज्यादा मात्रा में धोखे से भी ले लिया जाए तो मौत के मुंह में पहुंचा सकता है।

इसी तरह गंगाराम अस्पताल के डॉक्टर एके सेठ ने एक टीवी शो में कहा है कि कोरोना काल में स्टेरॉयड लेने का चलन सा हो गया है। ये स्टेरॉयड कोरोना से बचाव की जगह जानलेवा साबित हो सकता है। इन दोनों चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि जब मरीज के शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम होने लगे तभी स्टेरॉयड देना चाहिए। डॉक्टरों की भाषा में जब शरीर में ऑक्सीजन का स्तर 94 से नीचे गिरने लगे तो स्टेरॉयड का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे पहले कभी नहीं।

इसके अलावा इन चिकिस्ता विशेषज्ञों ने यह परामर्श दिया है कि कोरोना का शुरुआती लक्षणों में ही अस्पताल की ओर नहीं भागना चाहिए। कोरोना का इलाज चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार घर पर ही किया जा सकता है। पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर से शरीर में आक्सीजन का स्तर थर्मोमीटर से बॉडी टेंपरेचर लेते रहें। दिन में तीन से चार बार ऑक्सीजन का स्तर और बॉडी टेंपरेचर लेते रहें। अपने डॉक्टर से फोन पर परामर्श लें और उसी की राय के मुताबिक मेडिसिन लें तो देश में पेनिक भी नहीं फेलेग और अस्पतालों की स्थिति भी ठीक रहेगी।