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‘बैक्टीरिया’जो हमारे दिमाग को हेल्दी रखने का करता है काम, जानें मानव मस्तिष्क पर कैसे डालता है प्रभाव

Brain cells

हमारे शरीर में कई तरह के बैक्टीरिया होते हैं। कुछ बैक्टीरिया अच्छे होते हैं तो कुछ हमारे शरीर के लिए बुरे होते हैं। क्या आपको पता है कि एक बैक्टीरिया ऐसा भी है जो हमारे दिमाग को स्वस्थ रखता है। कोशिकाओं का पॉवर हाउस कहे जाने वाले इस हिस्से की सेहत हमारे मस्तिष्क (Brain)की सेहत बिगाड़ सकती है। बहुत से वैज्ञानिक अब मस्तिष्क की सेहत से माइटोकांड्रिया से संबंध का गहराई से अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने पाया है कि माइटोकांड्रिया मस्तिष्क की सेहत का कायम रखने में अहम भूमिका निभाता है। यहां तक कि इसका अवसाद से लेकर पार्किंसन्स बीमारी तक दिमाग की लगभग हर बीमारी (Disease) से गहरा संबंध है।

करीब एक अरब साल पहले एक पुरतान बैक्टीरिया (Bacteria) को एक कोशिका (Cell) ने एक तरह से निगल ही लिया था। दोनों मिल कर एक दूसरे की शक्ति बन गए। कोशिका ने जहां इस बैक्टीरिया को नया घर दिया तो बैक्टीरिया अपने नए रूप में कोशिका को शक्ति प्रदान करने वाला केंद्र बन गया। यह नया रूप ही माइटोकांड्रिया (Mitochondria) कहलाता है। माइटोकॉन्ड्रिया की उत्पत्ति बारे में यही सबसे प्रचलित मत है। माइटोकांड्रिया अपने ऐतिहासिक बैक्टीरिया के अवशेष अपने साथ लेकर चलता है जिसका अपना खुद का डीएनए है।

इस वजह से माइटोकांड्रिया (Mitochondria) कई समस्या का स्रोत भी है। जिस तरह हमारी कोशिकाओं के केंद्रकों (Nuclei of Cells) में डीएनए और मानव जीनोम (Human Genome) मौजूद है, माइटोकांड्रिया का डीएनए में भी म्यूटेशन (DNA Mutation) हो सकते हैं बदलाव हो सकते हैं। उम्र, तनाव, और अन्य कारक उसके कार्यों में बाधा डाल सकते हैं। इसके अलावा माइटोकांड्रिया चोटिल होने पर कई तरह के पदार्थ निकालता है जिन्हें बैक्टीरिया से मिलते जुलते होने के कारण हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली बाहरी आक्रमणकारी समझ लेती हैं जिससे नुकसान पहुंचाने वाली प्रतिक्रिया शरीर की ही कोशिकाओं को झेलनी पड़ती है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि कोशिका (Cells) में जितने ज्यादा माइटोकांड्रिया होंगे, स्वास्थ्य के लिए उतने ही ज्यादा नुकसानदेह होते हैं। न्यूरॉन यानि मस्तिष्क की हर कोशिका में करीब 20 लाख माइटोकांड्रिया होते हें। कई अध्ययनों में पाया गया है कि माइटोकांड्रिया (Mitochondria) के कारण होने वाली बीमारियों (Disorders) में ऑटिज्म जैसी बीमारियां ज्यादा है। 30 से 50 प्रतिशत ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों ने माइटोकांड्रिया विकार दिखाए हैं। जीन के स्तर पर सटीक कारण पता करना एक बहुत ही जटिल कार्य है। ऑटिज्म जैसी बीमारियों में केवल जेनेटिक (Genetic) बदलाव ही कारण नहीं है जिसके जरिए माइटोकांड्रिया योगदान दे सकता है। वायुप्रदूषण जैसे कारक भी माइटोकांड्रिया की सेहत पर असर डाल सकते हैं जिससे ऑटिज्म के मरीज प्रभावित होते हैं।