कोरोना संक्रमण के बाद दुनिया के कई देशों में गंभीर मानसिक रोग<strong> (कोविड साइकोसिस)</strong> का पता चला है। कोरोना का नया रूप मिलने से अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया के कई देशों में साइकोटिक लक्षण वाले मरीज मिले हैं। ऐसे मरीजों को अचानक सुनाई देता है कि उन्हें खुद को मारना है, तो कभी अपने बच्चों को मारने के लिए कोई कहता हुआ सुनाई देता है।
अमेरिका के मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर हिसाम विली का कहना है कि कोरोना संक्रमण के बाद ऐसे मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हैरानी की बात यह है कि अब तक मेरे पास जितने भी मरीज आए हैं उनमें से किसी को पहले से कोई मानसिक स्वास्थ्य संबंधी तकलीफ नहीं थी। ब्रिटेन में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि कोरोना के 153 मरीजों में से 10 मरीजों में नए तरह के साइकोसिस की शुरुआत देखी गई है।
<strong>मानसिक और मस्तिष्क रोग विशेषज्ञ अब यह जरूर कहने लगे हैं कि कोरोना शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक और मस्तिष्क के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है। इससे कोरोना के गंभीर मरीजों में बड़बड़ाने या भूलने जैसी तकलीफों की पुष्टि हो चुकी थी। इसकी तुलना में यह तकलीफ और अधिक गंभीर है। </strong>
डॉक्टर विली बताते हैं कि उन्होंने जिन मरीजों का इलाज उनको सिर में दर्द, हाथ में कंपन, चक्कर और स्वाद लेने की क्षमता प्रभावित थी। जो न्यूरो संबंधी तकलीफ है। ऐसे मरीजों में मनोविकृति की तकलीफ दो सप्ताह या महीनों बाद विकसित होना शुरू हुई जो बेहद ही गंभीर है और उनके आसपास रहने वाले लोगों के लिए डरावना।
कोरोना मरीजों में मस्तिष्क संबंधी तकलीफ होने के कई कारण हो सकते हैं। ऐसा रक्त वाहिकाओं में संकुचन और सूजन की तकलीफ ज्यादा होने से हो सकता है। कुछ विशेष तरह के न्यूरोटॉक्सिन्स (खराब तत्व) मस्तिष्क तक रक्त के जरिए पहुंच कर भी ऐसी तकलीफ को जन्म दे सकते हैं।
न्यूयॉर्क की 42 वर्षीय महिला में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई। महिला को अचानक से गंभीर मानसिक तकलीफ शुरू हो गई जबकि इससे पहले उसे कोई तकलीफ नहीं थी। डॉक्टरों को उसने बताया कि कोई उसके 2 और 10 साल के बच्चे को मारना चाहता है। इस कारण वह खुद भी मरने की योजना बना रही है। न्यूयॉर्क के 30 वर्षीय एक कंस्ट्रक्शन कामगार को कोरोना संक्रमण के बाद भ्रम हो गया कि उसके चचेरे भाई उसकी हत्या कर देंगे। मरीज ने डॉक्टरों को बताया कि वह चचेरे भाई से बचने के लिए बिस्तर पर उसका गला दबा सकता है। पहले केस की तरह ही इस मरीज को भी संक्रमण से पहले कोई मानसिक बीमारी नहीं थी।.