प्रधानमंत्री मोदी की कोरोना समीक्षा बैठक के बाद फैसला किया जा चुका है कि जो राज्य सहमत हों वहां कोरोना लॉकडाउन लगा दिया जाए। लॉक डाउन लगाने के लिए एसओपी तथा अन्य आवश्यक तैयारियां कर ली गई हैं। केंद्र सरकार पिछली बार की तरह इस बार लॉकडाउन लगाने की पहल अपनी ओर से नहीं करेगी लेकिन कोरोना से लड़ाई में सभी राज्यों को एक समान साधन और संसाधन मुहैया करवाएगी। इस तरह के संकेत केंद्रीय ग्रहमंत्री अमित शाह ने एक टीवी चैनल के साथ बात-चीत के दौरान दिए। इस टीवी चैनल के साथ बात-चीत के दौरान अमित शाह ने लॉकडाउन पर सीधे-सीधे कुछ नहीं कहा लेकिन इतना जरूर कहा कि परिस्थितियों के अनुरूप राज्य फैसला कर सकते हैं। केंद्र उन्हें अपनी ओर से हर संभव मदद उपलब्ध करवाएगा।
ध्यान रहे, पिछली बार के लॉकडाउन के बाद पैदा हुई परिस्थितियों पर कांग्रेस सहित सभी दलों ने केंद्र सरकार को खरी-खोटी सुनाई थीं। कांग्रेसी नेताओं ने कहा था कि केंद्र ने बिना तैयारियों के लॉक डाउन का ऐलान कर दिया। देश को बंधक बना दिया। मजदूरों को अपने-अपने प्रदेशों में लौटने के लिए हजारों किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ी। सैकड़ों लोगों ने सड़क पर ही दम तोड़ दिया। इस तरह के तमाम आरोपों के बीच केंद्र सरकार राहत के मेगा ऐलान भी किए। फ्री राशन, फ्री इलाज और नकद भत्ते भी दिए। उद्योंगों-बैंकों को लाखों-लाख करोड़ रुपये के स्टिमुलस पैकेज भी दिए। फिर भी विपक्षी दलों और मीडिया की आलोचना का शिकार होना पड़ा था।
अमित शाह ने कहा कि कोरना से निपटने के लिए केंद्र राज्यों को सभी स्तर मदद के लिए तैयार हैं। दवा, ऑक्सीजन जो भी जितना भी मांगेगा सरकार उसे उपलब्ध कराने का प्रयास करेगी। राज्यों के साथ समन्वय के साथ कोरोना से लड़ाई लड़ी जाएगी। इस समय महाराष्ट्र, एमपी, यूपी और दिल्ली ने वीकएंड कर्फ्यू यानी टोटल लॉक डाउन घोषित कर ही रखा है। वीकएंड लॉक डाउन का मतलब जहां फाइव डे वीक है वहां शुक्रवार की शाम से सोमवार सुबह तक और जहां सिक्स डे वीक है वहां शनिवार शाम से सोमवार सुबह तक टोटल लॉक डाउन है। इस बार पुलिस प्रशासन ज्याद सख्त है। लॉक डाउन का उल्लंघन करने वालों को जेल की हवा तक खानी पड़ी है।
इतने इंतजाम करने के बावजूद कोरोना की रफ्तार कम होने के बजाए बढ़ रही है। देश में कोरोना के 2 लाख 74 हजार नए मरीज आएं हैं। दिल्ली में लगभग 26 हजार, यूपी में 30 हजार और महाराष्ट्र में 68 हजार नए मरीज पाए गए हैं। हालांकि नए मरीजों की संख्या में इजाफा इसलिए भी ज्यादा है क्यों कि लोग ज्यादा से ज्यादा जांच करवा रहे हैं। इसके बावजूद संतोष की बात यह है कि इतने ज्यादा केसेस आने के मुकाबले मरने वाले मरीजों की संख्या कम है। इसके अलावा तेजी से हो रहे वैक्सीनेशन से भी मॉर्टेलिटी रेट में कमी आई है। लेकिन चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक 70 फीसदी लोगों का वैक्सीनेशन नहीं हो जाता तब तक कोरोना का ज्वार-भाटा बना रहेगा।