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कोरोना होने पर दवाओं के मामले में न करें अपनी ‘मनमर्जियां’, जान पर भारी पड़ सकती है आपकी एक गलत दवा

photo courtesy the healthy

कोरोना की दूसरी लहर ने कहर बरपाया हुआ है। हर दिन लाखों मामले सामने आ रहे है। इससे लड़ने के लिए केंद्र सरकार ने अब 18 साल से ऊपर व्यक्तियों को वैक्सीन लगवाने की मुहिम शुरु कर दी है। एक मई से युवाओं के लिए टीकाकरण अभियान शुरु हो जाएगा। लेकिन देखा जा रहा है कि कई व्यक्ति ऐसे है, जो ऑनलाइन या अपनी आधी-अधूरी जानकारी दवा ले रहे है। ऐसा करना बेहद खतरनाक है। एक्सपर्ट्स की मानें तो वो ऐसा करन सिर्फ अपनी बल्कि अपनों की जान के साथ भी खिलवाड़ कर रहे है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर किसी का ऑक्सीजन लेवल ठीक है और  किसी प्रकार का कोई लक्षण या दिक्कत नहीं है तो दवा के लिए केवल 'पैरासिटामोल' ही काफी है। बुडसोनाइड खाने से मृत्यु दर के घटने वाली खबर को लेकर एक्सपर्ट्स का कहना है कि इंटरनेट पर कई वेबसाइट दावा कर रही है कि कोरोना मरीज को बुडसोनाइड से फायदा होता है। अगर ये दवा मरीज सूंघे करे तो उसकी रिकवरी तेज होती है। लेकिन इससे मृत्यु दर घटने वाली कोई बात गलत है। इस तरह की दवाएं मृत्यु दर में कोई मदद नहीं करतीं। इन दवाओं के लिए होड़ मचाना अपना समय बर्बाद करना है।

रेमडेसिविर दवा को लेकर एक्सपर्ट्स का कहना है कि रेमडेसिविर बहुत हद तक मदद नहीं करती और ये सभी मरीजों पर काम भी नहीं करती। कुछ ही मरीज होते है जिन पर ये दवाई काम करती है। लेकिन अगर किसी के ऑक्सीजन का स्तर काफी गिर गया है और वो सांस लेने की स्थिति में नहीं है या वेंटिलेटर पर है तो भी इसका असर नहीं होता। ये दवा शुरू में मरीज को रिकवर करने में मदद करती है लेकिन लोगों के मृत्यु दर को तो बिल्कुल नहीं घटाती। इसके अलावा, टोसिलीजुमैब को लेकर एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये दवा बहुत कम लोगों पर असर करती है। इसलिए डॉक्टर के हिदायत पर ही किसी दवा का सेवन करें।