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कोरोना को जल्द ही पहचान लेता है FELUDA टेस्ट, जानिए कैसे पड़ा इसका नाम और RT-PCR से कितना है बेहतर ?

photo courtesy Google

देश में कोरोना की दूसरी लहर अपना विकराल रुप दिखा रही है। हर रोज कोरोना वायरस लाखों लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। मामूली लक्षण दिखने पर ही कोरोना टेस्ट कराने की सलाह दी जा रही है। हर रोज हजारों की तादाद में लोग कोरोना टेस्ट करा रहे है। कोरोना टेस्ट के लिए आरटी-पीसीआर के नतीजे सबसे ज्यादा भरोसेमंद होते है, लेकिन फेलुदा टेस्ट इसके मुकाबले काफी सस्ते है। इसकी रिपोर्ट्स भी जल्दी आ जाती है। चलिए आज हम आपको फेलुदा टेस्ट के बारे में बताएंगे और साथ ही बताएंगे इस टेस्ट का नाम कैसे पड़ा।

फेलुदा टेस्ट पेपर स्ट्रिप के जरिए किए जाने वाले प्रेग्‍नेंसी टेस्‍ट जैसा है। इसमें एक पेपर स्ट्रिप होती है जो सैम्‍पल में वायरस की मौजूदगी पर अपना रंग बदलती है। किट में दो लाइनें होती है, एक कंट्रोल के लिए और दूसरी नतीजे बताने के लिए, जबकि आरटी-पीसीआर टेस्ट में भारी भरकम उपकरण की जरूरत पड़ती है। आरटी-पीसीआर के उपकरण और रीजेंट्स महंगे होते हैं और उसके लिए तकनीकी दक्षता की जरूरत पड़ती है। लेकिन फेलुदा टेस्‍ट के लिए तकनीकी दक्षता की जरूरत नहीं है। ये टेस्ट वक्‍त, समय और पैसा बचाता है।

फेलुदा टेस्ट की एक्‍युरेसी आरटी-पीसीआर टेस्‍ट के ही बराबर है। लेकिन, इस टेस्‍ट का नतीजा एक घंटे से भी कम यानी 45 मिनट में आ जाता है। वहीं आरटी-पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट आने में ज्यादा समय लगता है। इस टेस्ट में सबसे पहले नाक से स्‍वाब लेते है। इसके बाद आरएनए निकालते है और फिर सिंगल स्‍टेप आरटी-पीसीआर करते है। गाइड आरएनए और एम्प्लिफाइड वायरल डीएनए को इनक्‍यूबेट कर फेलुदा मिक्‍स तैयार किया जाता है। डिप स्टिक को फेलुदा मिक्‍स में डुबो देते है। स्ट्रिप पर मौजूद गोल्‍ड नैनोपार्टिकल फेलुदा कॉम्‍पलेक्‍स से चिपक जाता है।

इसके बाद टेस्‍ट लाइन पर स्‍ट्रेप्‍टावाइडिन का नाम एक प्रोटीन इस गोल्‍ड नैनोपार्टिकल को पकड़ लेता है। बाकी गोल्‍ड पार्टिकल्‍स कंट्रोल लाइन की पकड़ में आ जाते है। टेस्‍ट लाइन या कंट्रोल लाइन का रंग बदलता है। एक लाइन का मतलब निगेटिव और दो लाइन का मतलब पॉजिटिव रिजल्‍ट होता है। पूरे टेस्‍ट में एक से दो मिनट का वक्‍त लगता है। इस टेस्ट का नाम फेलुदा रखा गया है। इसका पूरा नाम  FELUDA यानी FNCAS9Editor Linked Uniform Detection Assay है।

काउंसिल ऑफ साइंटिफिक ऐंड इंडस्ट्रियल रिसर्च और टाटा ग्रुप के युवा वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस टेस्‍ट को विकसित किया है. इस टेस्ट को तैयार करने वाली टीम का नेतृत्व कर रहे डॉ. देबज्योति चक्रवर्ती और सौविक मैत्री ने इसका नामकरण किया है। आपको बता दें कि मार्केट में फेलुदा टेस्‍ट की कीमत करीब 500 रुपये है जबकि आरटी-पीसीआर टेस्‍ट 100 रुपये में हो जाता है, लेकिन फेलुदा टेस्‍ट किट को आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है जबकि आरटी-पीसीआर के लिए लैब की जरुरत होती है।