महाराष्ट्र के बाद दिल्ली में कोरोना कहर से बचने के लिए केजरीवाल सरकार को भी वीकेंड कर्फ्यू का ऐलान करना पड़ गया है। दरअसल, कोरोना का नया वायरस बहुत तेजी से लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। एक और चिंता का सबसे बड़ा कारण यह है कि नया कोरोना बच्चों को सबसे ज्यादा शिकार बना रहा है।
कोरोना के नए रिसर्च डेटा के मुताबिक दिल्ली में कोरोना की नई लहर में 12 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ नवजात शिशुओं में भी संक्रमण मिला है। साथ ही नौजवान युवा भी इसके शिकार हो रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पहले ही इस लहर को खतरनाक मान चुके हैं, वहीं डॉक्टर भी इस लहर को बेहद खतरनाक मान रहे हैं, जिसकी वजह से अस्पतालों में छोटे बच्चों से लेकर युवाओं में इस संक्रमण का असर तेजी से बढ़ रहा है।
दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में आपातकालीन विभाग की प्रमुख डॉ. ऋतु सक्सेना ने बताया कि, "इस बार बच्चों में भी कोविड देखने को मिल रहा है। कुछ दिन के बच्चे भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं। जबसे यह नई लहर शुरू हुई है, तबसे अभी तक 7 से 8 छोटे बच्चे भर्ती हुए हैं। हर दिन में एक या दो बच्चे आ रहे हैं। इनमें सबसे छोटा बच्चा वह नवजात शिशु है जो अस्पताल में ही संक्रमित हुआ था। इसके अलावा 15 से 30 वर्ष तक के करीब 30 फीसदी नौजवान लोगों में भी संक्रमण दिख रहा है।"
दिल्ली के मुख्यमंत्री भी युवाओं को लेकर अपनी चिंता व्यक्त कर चुके हैं और उन्होंने अपील करते हुए भी कहा था कि जरूरी वक्त में ही घर से बाहर निकलें। डॉ. सक्सेना ने बताया, "इस बार जिन नौजवानों को संक्रमण हो रहा है, उन सबमें बुखार का लक्षण जरूर देखने को मिल रहा है। बेड न मिलने का डर, लोगों को अस्पतालों की ओर खींच रहा है, लोगों का मानना है कि यदि अस्पताल में बेड मिल जाएगा, तो हम बच जाएंगे। लोगो के अंदर से पहले यह डर निकालना होगा।"
उनका कहना है कि अस्पताल में यदि वही मरीज आएं, जिनको सच में इलाज की जरूरत है, तो अस्पताल सही ढंग से इस बीमारी से निपट सकता है, वरना डॉक्टरों का आधा समय अन्य मरीजों को समझाने में ही लग जा रहा है। इस बार यह भी देखा जा रहा है कि यदि घर में एक व्यक्ति पॉजिटिव है, तो पूरा परिवार संक्रमित पाया जा रहा है। (Agency Input)