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Coronavirus: क्या बुखार है, आंखों में दर्द है तो आप कोरोना के शिकंजे में है! RTPCR फेल तो कैसे पकड़ में आएगा वायरस, देखें रिपोर्ट

नाक-मुंह नहीं सीधे फेफड़ों में छुप कर बैठ रहा है बहरूपिया कोरोना वायरस!

दिल्ली के कुछ चिकित्साविज्ञानियों और शोधकर्ताओं का कहना है कि इस समय जो कोरोना वायरस फैल रहा है उसके आगे आरटीपीसीआर और एंटीजन टेस्ट भी फेल है। मतलब यह कि कोरोना वायरस ने न केवल नए रूप बदल लिए हैं बल्कि कोविड टेस्ट में न पकड़े जाने की क्षमता भी विकसित कर ली है। इसलिए अब बहुत से ऐसे केस भी आ रहे हैं जिनका आरटीपीसीआर और एंटीजन टेस्ट नेगेटिव है लेकिन वो कोरोना से संक्रमित हैं।

कोरोना वायरस की इस भयानक स्थिति का विश्लेषण करने वाली एक रिपोर्ट टाइम्स ऑफ इंडिया ने प्रकाशित की है। राजधानी दिल्ली के कई प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों में काम करने वाले चिकित्सक और शोधार्थियों (रिसर्च स्कॉलर्स) से बात करने के बाद इस रिपोर्ट में कहा गया है कि नया कोरोना वायरस ब्रोंकाएलव्योलॉर लैवेज टेस्ट से ही पकड़ में आ रहा है। नाक या मुंह अंदर के स्लाइवा के सेंपल टेस्ट से नया कोरोना वायरस पकड़ में नहीं आता है। हाई फीवर और सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण दिखने के बाद जब मरीजों का आरटीपीसीआर और रेपिड एंटीजन टेस्ट कराया जाता है तो कोविड 19 नेगेटिव रिपोर्ट आती है लेकिन जब लावेज कराया जाता है तो वायरस पकड़ में आ जाता है और रिपोर्ट कोविड पॉजिटिव पाई जा रही है।

नए कोरोना वायरस पर काम कर रहे शोधार्थियों का कहना है कि नया वायरस नाक या मुंह के अंदर स्लाइवा में रहने की जगह अब सीधे फेफड़ों के अंदर सेंध लगाकर बैठ जाता है। वहीं से यह वायरस मरीज पर हमला करता है। खास बात यह है मुंह और नाक के स्लाइवा में इसके फुट प्रिंट नहीं दिखाई नहीं देते लेकिन यह वहां भी इसकी मौजूदगी होती है, और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले अन्य लोग भी इसके शिकंजे में फंस जाते हैं। शोधार्थियों का कहना कि ऐसे मरीजों की संख्या 15 से 20 प्रतिशत से ज्यादा है।

रिसर्च स्कॉलर्स ने यह भी बताया है लावेज टेस्ट के बाद चला कि नए कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों को कंजक्टिव आइटिस मतलव आईफ्लू, हाईफीवर और डायरिया भी हो सकता है। किसी भी मरीज में अगर इन लक्षणों के बावजूद आरटीपीसीआर में कोरोना पकड़ में न आए तो डॉक्टरों के परमार्श पर लावेज टेस्ट तत्काल करवाएं

कोरोना वायरस के नए टेस्ट के बारे में आईसीएमआर या भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से इस बारे में अभी तक कोई बयान या जानकारी नहीं दी गई है।