कोरोना के कहर से दुनिया कराह रही है। इन परिस्थितियों में जब भी कहीं से कोरोना के इलाज की खबर सुनाई देती है तो सभी लोगों की बांछें खिल जाती हैं। ऐसी अच्छी खबर भारत से ही सुनने को मिली है। खबर यह आयी है कि भारत बायोटेक ने 'कोवैक्सीन' नाम का टीका बना लिया है। इस टीके (वैक्सीन) का नतीजा 100 फीसदी सफल रहा है। पहले फेजकी कामयाबी के बाद सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन ने भारत बायोटेक के दूसरे चरण का ट्रायल करने की मंजूरी भी दे दी है।
कोवैक्सिन को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च , नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरलॉजी और भारत बायोटेक ने मिलकर बनाया है। इस वैक्सीन के नतीजे इतने सटीक रहे कि भारत बायोटेक ने 29 जून को ऐलान किया था कि उसने वैक्सीन तैयार कर ली है।
भारत में बनी पहली कैवेक्सीन का फेज 1 ट्रायल 15 जुलाई 2020 से शुरू हुआ था। देशभर में 17 लोकेशंस पर फेज 1 ट्रायल हुए। Covaxin ट्रायल की सारी डिटेल्स ICMR को भेजी जाएंगी। वहीं पर डेटा को एनलाइज किया जा रहा है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में कोवैक्सिन के फेज 2 ट्रायल के दौरान हरियाणा के रेवाड़ी जिले के खरखड़ा गांव के प्रकाश यादव ने वैक्सीन के दूसरे ट्रायल अपने ऊपर करने की सहमति थी। उनकी इस पहल से कोवैक्सीन पर का कर रहे वैज्ञानिकों में खुशी की लहर दौड़ गयी। मानवता के लिए प्रकाश यादव की पहल को सभी तरफ सराहा जा रहा है। वैज्ञानिकों ने सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उन्हें की कोरोना की पहली डोज दे दी गई। कोवैक्सीन दिए जाने के शुरुआती घण्टों में प्रकाश पर वैक्सीन का कोई दुष्प्रभाव दिखाई नहीं दिया तो उन्हें घर जाने की अनुमति दे दी, लेकिन वो अगले 7 दिन तक डॉक्टरों के सक्रिए संपर्क में रहेंगे। इसके 28 दिन बाद प्रकाश को दूसरी डोज दी जाएगी।
ध्यान रहे, भारत की भारत बायोटेक, जायडस, सीरम इंस्टीट्यूट पुणे, मिनवैक्स पनासिया बायोटेक, इंडियन इम्युनोलॉजिकल्स और बायोलॉजिकल्स जैसी कई कंपनिया कोरोना वायरस की अलग-अलग वैक्सीन पर काम कर रही हैं। सीरम इंस्टिट्यूट ने ऑक्सफर्ड वैक्सीन का ट्रायल रोक दिया है जबकि बाकी जारी हैं। आमतौर पर वैक्सीन डेवलप करने में सालों लगते हैं मगर भारत में युद्ध स्तर पर रिसर्च चल रहा है। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि अगले वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय वैक्सीन बाजार में उपलब्ध हो जाएगी।.