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Covid Vaccine: कोवैक्सीन और कोविशील्ड यूके, अफ्रीका और ब्राजील वाले स्ट्रेन के खिलाफ कितनी कारगर- देखिए रिपोर्ट

How effective are Covaxin and Covishield

कोविशील्ड और कोवैक्सीन के बाद अब रूस की स्पुतनिक-वी वैक्सीन के आपात इस्तेमाल को भी हरी झंडी मिल गई है। सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (एसईसी) ने तीसरे फेज के ट्रायल में स्पुतनिक-वी के पूरी तरह सुरक्षित और संक्रमण रोकने में कारगर पाए जाने के बाद सोमवार को मंजूरी दी। लेकिन अब सवाल यह उठा रहा है कि क्या कोवैक्सीन और कोविशील्ड कारगर है या नहीं।

दरअसल, गुजरात हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस विक्रम नाथ ने सोमवार को कहा कि कोरोना वैक्सीन पूरी तरह कारगर नहीं है क्योंकि दोनों डोज लेने के बाद भी लोग संक्रमित हो रहे हैं और लोगों की मौत हो रही है। उन्होंने कहा, "वैक्सीन बढ़िया है, लेकिन पूरी तरह सुरक्षा प्रदान नहीं कर पा रही है।" इसके साथ ही इसपर कई और भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारती वैक्सीन यूके, साउथ अफ्रीका और ब्राजील के स्ट्रेन के खिलाफ इम्यूनिटी पैदा कर पा रही है?

स्ट्रेन के खिलाफ इम्यूनिटी पैदा कर पाती है कोवैक्सीन और कोविशील्ड?

दिल्ली AIIMS के डीन और भोपाल तथा जम्मू स्थित AIIMS के प्रेसिडेंट डॉ. वाई के गुप्ता का कहना है कि COVaccine और Covishield Vaccine वैक्सीन टेक्नॉलजी प्लैटफॉर्म कोरोना वायरस के म्युटेशनों के खिलाफ कारगर टीके तैयार कर सकते हैं। अगर वायरस के स्वरूप में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं आए तो कोवैक्सीन और कोविशील्ड इनके खिलाफ कारगर बनी रहेगी। इसके साथ ही अगर किसी खास वेरियंट के खिलाफ कोवैक्सीन और कोविशील्ड काम नहीं कर पाती है तो इसी टेक्नॉलजी पर अलग से वैक्सीन बनाई जा सकती है।

अगर कोई नया वेरियंट आ जाए तो ये वैक्सीन उसके खिलाफ काम करेंगी?

भारत में पाए जा रहे यूके, द. अफ्रीका और ब्राजील के वेरियेंट्स के खिलाफ कोवैक्सीन और कोविशील्ड कारगर नहीं हैं, इसका कोई सबूत अब तक नहीं मिला है। वाई के गुप्ता ने कहा कि ये दोनों वैक्सीन इन तीनों वेरियंट में किसी से भी संक्रमित व्यक्ति में एंटिबॉडी बनाने में सक्षम हैं। अभी जितने भी वेरियंट हैं, उन सबके खिलाफ भारतीय वैक्सीन अच्छे से काम करती हैं।

अगर कोवैक्सीन और कोविशील्ड इतनी ही कारगर हैं फिर दोनों डोज लेने के बाद क्यों बीमार पड़ रहे?

कोई भी वैक्सीन ट्रायल के दौरान सौ फीसदी कारगर साबित नहीं हुई है, इसलिए वैक्सीन लेकर 100% निश्चिंत नहीं हो सकते। ऐसे में अगर किसी वैक्सीन एफिकेसी रेट 80% तक है, तो इसका मतलब है कि 100 में से 20 लोग वैक्सीन लेने के बाद भी संक्रमण के बाद गंभीर रूप से बीमार पड़ सकते हैं।

स्ट्रेन के खिलाफ कौन सी वैक्सीन कितनी कारगर है?

सोमवार को भारत सरकार के कुछ सीनियर ऑफिसरों ने दावा किया कि देश में इस्तेमाल हो रही दोनों कोविड वैक्सीन (कोवैक्सीन और कोविशील्ड), यूके वेरियंट के कोरोना वायरस के खिलाफ कारगर हैं। कोवैक्सीन यूके और ब्राजील, दोनों जगहों के कोरोना वायरस वेरियंट के खिलाफ कारगर है। वहीं, कोविशील्ड यूके वेरियंट के खिलाफ काम करती है। यह ब्राजीलियन वेरियंट के खिलाफ कितना उपयोगी है, इसका एफिकेसी डेटा अभी नहीं आया है।

कोवैक्सीन और कोविशिल्ड वैक्सीन लेकर कोरोना से सुरक्षित हैं?

इन दोनों वाक्सीन के डोज लेने के बाद यह कहना बिल्कुल सही नहीं है कि आप बिल्कुल सुरक्षित हैं। क्योंकि अभी तक के ट्रायल में वैक्सीन के सालभर तक की कारगर रहने की बात सामने आई है। अगर आपने दोनों वैक्सीन में से किसी एक का डोज किया है जो आप सालभर तक कोरोना से सुरक्षित होंगे।

भारत में अभी कौन-कौन से स्ट्रेन मिल रहे हैं?

भारत में कोरोना वायरस के यूके, दक्षिण अफ्रीकी और ब्राजीलियन वेरियंट के केस मिले हैं। यूके और दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन के अच्छे-खासे नमूने पाए गए हैं जबकि ब्राजीलियन स्ट्रेन के बहुत कम नमूने मिले हैं।

इंडियन स्ट्रेन की क्या है हकीकत?

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के शोधकर्ता यह पता करने में जुटे हैं कि देश में कोविड की ताजा लहर के पीछे डबल म्युटेशन का क्या भूमिका है। विशेष्ज्ञयों का मानना है कि इंडियन स्ट्रेन जैसा कोई वेरियंट नहीं है। डबल म्युटेशन में दो अलग-अलग वेरियंट्ल के वायपर होते हैं। महाराष्ट्र, दिल्ली और पंजाब में डबल म्युटेशन के कुछ केस सामने आए हैं। हालांकि, इसके अबतक कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं कि डबल म्यूटेशन ही मौजूदा दौर में कहर बरपा रहे हैं।