भारत में तैयार हो रही कोविड वैक्सीन पर पूरी दुनिया की नजर है। सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को एक बार फिर भरोसा दिलाया कि कोविड वैक्सीन के लिए अब ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। पिछले सप्ताह, एक सर्वदलीय बैठक को संबेधित करते हुए पीएम मोदी कहा था कि "हम कोरोना वैक्सीन पाने की दहलीज़ पर हैं। 8 वैक्सीन पर तेजी से हो रहा है काम। ऐसी उम्मीद है कि अगले <a href="https://hindi.indianarrative.com/india/covid-19-vaccine-a-few-weeks-away-only-a-few-people-will-be-vaccinated-in-first-batch-20416.html">कुछ हफ्तों में कोविड वैक्सीन को लेकर अच्छी खबर मिलेगी</a> और वैज्ञानिकों की ओर से मंजूरी मिलते ही इस पर काम शुरू हो जाएगा।"
भारत में तीन कंपनियां वैक्सीन को बनाने में जुटी हैं। उन्होंने भारतीय रेगुलेटर <strong>Central Drugs Standard Control Organisation (CDSCO)</strong> से अपनी अपनी दवाओं के आपातकालीन उपयोग के लिए अनुमति मांगी है। इनमें में से एक फाइजर/बॉयोएनटेक को ब्रिटेन में उपयोग के लिए अनुमति मिल चुकी है। बाकी दो कंपनियां भारत की हैं। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बॉयोटेक, एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर <a href="https://hindi.indianarrative.com/health/government-to-provide-kovid-vaccine-to-20-25-crore-people-by-july-2021-14010.html">कोविड वैक्सीन</a> निर्माण के अंतिम चरण में हैं।
इसमें अब संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है कि करोना महामारी से लड़ने के लिए भारतीय वैक्सीन लगभग तैयार है। सीरम इंस्टीट्यूट ने तो यहां तक भरोसा दिलाया है कि वो भारत में निर्मित इस वैक्सीन की सप्लाई सरकारी और निजी सेक्टरों में कर सकेगा और इसके लिए बड़े पैमाने पर काम जारी है। इस वक्त <a href="https://hindi.indianarrative.com/health/covid-19-vaccine-trial-to-began-from-14-november-in-amu-16507.html">8 कोविड वैक्सीन का ट्रॉयल अलग-अलग चरणों में है।</a> इसके अब तक के नतीजे से वैज्ञानिक संतुष्ट हैं।
<h2>सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम चलाता है भारत</h2>
देश में हर साल सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम ( Universal Immunisation Programme) के तहत टीके के जरिये रोके जा सकने वाले 12 रोगों के लिए और गर्भवती स्त्रियों और शिशुओं का टीकाकरण होता है। दुनिया के सबसे बड़े सार्वजानिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत हर साल करीब 3 करोड़ बच्चों और गर्भवती महिलाओं को टीका लगाया जाता है। जाहिर है यही सिस्टम कोविड वैक्सीन आम लोगों तक पहुंचाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण होगा, केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच सही तालमेल। जिससे आम लोगों को जल्द से जल्द कोविड से सुरक्षा मिल सके।
<h2>भारतीय वैक्सीन का दुनिया को बेसब्री से इंतजार</h2>
भारत में विकसित हो रही कोविड वैक्सीन का इंतजार सारी दुनिया बेसब्री से कर रही है। 80 देशों के राजदूत भारत बॉयोटेक कंपनी का दौरा करने जा रहे हैं। जहां वो इस वैक्सीन की तैयारियों पर वहां के वैज्ञानिकों से बातचीत करेंगे। इसके पहले नंवबर के आखिरी सप्ताह में प्रधानमंत्री मोदी ने वैक्सीन बना रहीं कंपनियों की प्रयोगशालाओं में जाकर खुद जायजा लिया था। मोदी ने कहा कि "पूरी दुनिया देश में बनने वाली सबसे सेफ और सस्ती वैक्सीन पर निगाहें गड़ाए हुए है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले कुछ सप्ताह में कोरोना वैक्सीन तैयार हो जाएगी। जैसे ही वैज्ञानिक वैक्सीन को हरी झंडी दिखाएंगे, भारत में लोगों को टीका लगना शुरू हो जाएगा।"
मोदी ने कहा कि दुनिया में कई देश वैक्सीन बनाने में जुटे हैं लेकिन लेकिन सबकी नजर भारत की सबसे सुरक्षित और सस्ती वैक्सीन पर है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इतने बड़े पैमाने पर वैक्सीन को बनाने की क्षमता सिर्फ भारत में है। इसलिए दूसरे देशों को इनके निर्माण के लिए भारत की मदद की जरूरत होगी।
यह बात साबित हो चुकी है कि इतने बड़े उत्पादन का काम सिर्फ भारत में ही हो सकता है। गौरतलब है कि मार्च से ही भारत ने अमेरिका सहित दूसरे देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और पैरासिटामॉल देना शुरू कर दिया था। अभी तक 150 देशों को इन दवाओं के साथ दूसरी दवाइयों, पीपीई किट, वेंटिलेटर और दूसरी अहम चीजें मुहैया करायी जा चुकी हैं। दरअसल, भारत अभी किसी भी तरह की वैक्सीन बनाने में दुनिया का सबसे बड़ा देश है।
<h2>चीनी वैक्सीन बहुत कम देशों को भरोसा</h2>
कोविड वैक्सीन बनाने का दावा तो चीन भी कर रहा है। लेकिन उसकी दवाइयों पर भरोसा बहुत कम देशों को है। जानकारों का मानना है कि सुरक्षित कोविड वैक्सीन की दौड़ में भारत, चीन से आगे है। भारत की साख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 190 देशों के राजनयिकों को संबोधित करते हुए भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने 6 नवबंर को कहा था, "कोविड वैक्सीन आपूर्ति प्राप्त करने के लिए कई देश हमारे संपर्क में हैं। मैं अपने प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता को दोहराता हूं कि भारत की कोविड वैक्सीन उत्पादन और वितरण क्षमता का उपयोग इस संकट से लड़ने में पूरी मानवता की सहायता के लिए किया जाएगा। भारत कोविड वैक्सीन के वितरण के लिए इच्छुक देशों की उनकी कोल्ड चेन और भंडारण क्षमता बढ़ाने में की सहायता करेगा।"
पाकिस्तान को छोड़कर तकरीबन अन्य सभी पड़ोसी देशों को कोविड वैक्सीन उपलब्ध कराने को लेकर बातचीत शुरू हो चुकी है। भारत ने अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, म्यांमार के साथ साथ 8 देशों के 90 विशेषज्ञों को वैक्सीन के रख-रखाव, स्टोरेज के साथ-साथ क्लिीनिकल ट्रायल से संबंधित प्रशिक्षण देने का काम शुरू कर दिया है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक पिछले कुछ महीनों में भारत व दूसरे देशों के बीच होने वाली आपसी बातचीत में सबसे प्रमुख मुद्दा कोविड वैक्सीन ही रहा है। विदेशमंत्री डॉ. एस. जयशंकर की तीन देशों की यात्रा के दौरान वहां के नेताओं ने वैक्सीन मुहैया करने में सहयोग का वादा मांगा और जयशंकर ने पूरी मदद देने का भरोसा दिलाया ।
<h2>वन बेल्ट वन रोड में शामिल देश भी भारतीय वैक्सीन के इच्छुक</h2>
चीन के वन बेल्ट वन रोड में भागीदार नेपाल, बांगलादेश और म्यांमार को भी चाइनीज कोविड वैक्सीन पर भरोसा नहीं है। पिछले दिनों नेपाल और बांग्लादेश के दौरे पर गए भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने इन देशों को भरोसा दिलाते हुए वैक्सीन देने का वादा किया। चीन ने म्यांमार सहित इन देशों को मुफ्त कोविड वैक्सीन देने की पेशकश की, लेकिन किसी को उस पर भरोसा नहीं है। सब को आशंका है कि चाइनीज मास्क की तरह चाइनीज वैक्सीन भी कहीं बेकार न हो। चीन ने 10 देशों के ग्रुप आसियान को भी अपनी कोविड वैक्सीन देने की पेशकश की, लेकिन वहां भी उसकी दाल नहीं गली। थाईलैंड, फिलीपींस, मलेशिया जैसे देशों ने अमेरीका और ब्रिटेन की कंपनियों से करार करना ज्यादा सुरक्षित समझा।
जानकारों के मुताबिक कोविड महामारी की शुरुआत चीन से हुई। लेकिन चीन ने जानबूझ कर इसके बारे में हर जानकारी पर पर्दा डालने की कोशिश की। इसके कारण <a href="https://hindi.indianarrative.com/health/us-decides-to-stay-away-from-who-led-kovid-vaccine-efforts-11140.html">विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization-WHO)</a> की भूमिका पर सवाल उठे। चीन को भरोसा है कि उसके वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट से जुड़े देश उसकी कोविड वैक्सीन जरूर खरीदेंगे। चीन अपनी विदेश नीति को "हेल्थ सिल्क रोड डिप्लोमेसी" का नया रूप देने की कोशिश कर रहा है। चीनी मीडिया इस प्रोपेगेंडा में लगी हुई है। चीन की कोशिश है कि अपने ऊपर लगे "चाइनीज वायरस" के कलंक से उबरे। इसीलिए टर्की, पाकिस्तान जैसे कुछ देश चीनी कोविड वैक्सीन के गुण गा रहे हैं, जबकि हकीकत कुछ और बता रही है। मेड इन चाइना के बजाय दुनिया का भरोसा मेड इन इंडिया पर है।.