दुनिया भर के देशों में भारत की कोवीशील्ड और कोवैक्सीन लगाई जा रही है। भारत में बनी इन वैक्सीन की मांग इतनी है कि फैक्ट्रियों को 24 घण्टे काम करना पड़ रहा है। लेकिन वहीं भारत में कुछ ऐसे लोग हैं जो वैक्सीन को लेकर अफवाहें फैला रहे हैं। ठीक वैसे ही जैसे पाकिस्तान में अफवाह फैलाई गई थी कि विदेशों से आने वाली वैक्सीन में सुअर की चर्बी है या इस वैक्सीन को लगाने वाले नपुंसक हो जाएंगे। औरतें बच्चे पैदा करने काबिल नहीं बचेंगी। खास बात यह है कि ऐसी अफवाहें उन्हीं इलाकों में फैलाई जा रही हैं जहां कट्टर मानसिकता के लोग रहते हैं।
दरअसल, कोरोना वैक्सीन में मिलावट की अफवाह हरियाणा के मेवात इलाके में ज्यादा जोर से और प्रभावी ढंग से फैलाई गई है। यहां कहा जा रहा है कि वैक्सीन में गाय के खून और सुअर की चर्बी का मिश्रण है। मतलब यह कि गाय के खून की बात आएगी तो हिंदू वैक्सीन लगाने से परहेज करेंगे और सूअर की चर्बी का नाम आते है मुसलमान वैक्सीन से तौबा कर लेंगे। अफवाह फैलाने वालों की मंशा हरियाणा के इस इलाके में पूरी हो गई।
हरियाणा के नूंह जिले के दर्जनों लोगों ने चीफ मिनिस्टर मनोहर लाल खट्टर को सीधे चिट्ठी भेजकर कोरोना का टीका न लगवाने की जानकारी दी है। इन चिट्ठियों में कहा गया है कि सूअर की चर्बी मिली होने के कारण वो इस टीके को नहीं लगवाएंगे। ध्यान रहे, कोरोना का टीका आने से पहले ही मुंबई रजा अकादमी के मौलानाओं ने इसी तरह की अफवाह फैलाई थी। जिस पर शासन ने समय रहते काबू पा लिया था। लेकिन एक बार फिर उसी तरह की अफवाह फैलाई जा रही है।
यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि जब मुंबई में बैठे रजा अकादमी के मौलाना भारत की कोरोना वैक्सीन के खिलाफ फतवा जारी कर रहे थे ठीक उसी वक्त दीनी इस्लाम के मरकज सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात में अमेरिका में बनी कोरोना वैक्सीन का इस्तेमाल शुरू हो चुका था।
बहरहाल, सरकार अफवाह फैलाने वालों पर कार्रवाई करने जा रही है, और लोगों को समझाने का प्रयास है कि कोरोना वैक्सीन में न गाय का खून है और न सुअर की चर्बी। इस वैक्सीन को लेकर किसी के मत, पंथ, संप्रदाय या धर्म को किसी तरह का नुकसान नहीं होता है।