कोरोनाकाल में यूं तो कई देवदूतों की कहानी सुनने को मिल जाती हैं, लेकिन कुछ कहानियां ऐसी होती हैं जिनके हीरो हमेशा पर्दे के पीछे ही रहते हैं। जी हां, हम यहां ऐसे ही हीरोज की बात कर रहे है। ऐसे ही हीरो हैं दिल्ली पुलिस के वो जवान दूसरों के माता-पिता के अंतिम संस्कार करते हैं।
यह कहानी है लेह के दुर्गम इलाकों में तैनात इंडियन आर्मी के कर्नल की। इनका नाम है एस. मण्डल। कर्नल एस. मण्डल के ससुर विश्वनाथ प्रमाणिक द्वारका के सेक्टर में रहते थे। कोरोना से उनकी मृत्यु हो गई। अकेले होने के कारण उनके अंतिम संस्कार का सवाल था कैसे और करेगा। सामान्य दिन और सामान्य हालात में मौत होती तो रिश्तेदार और पास-पड़ौसी आ जाते, लेकिन कोरोना ने सबके कदम रोक दिए। बेवस, कर्नल एस. मण्डल ने दिल्ली पुलिस के डीएसपी संतोष मीणा को फोन किया। उन्होंने अपने ससुर के अंतिम संस्कार के लिए पुलिस से मदद मांगी। उन्होंने बताया कि पुलिसकर्मियों ने पीपीई किट पहनकर सभी रीति-रिवाज पूरा करते हुए यह अंतिम संस्कार किया।
वहीं द्वारका साउथ पुलिस थाने की टीम ने कोरोना से हुई मौत के बाद एक महिला के अंतिम संस्कार में भी मदद की। सेक्टर-7के अपार्टमेंट से सूचना मिली थी कि लाजपत नगर की रहने वाली जय मथानी की कोरोना से मौत हो गई। वह अपने भाई के यहां आई थीं, लेकिन अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी कोई नहीं ले रहा था। द्वारका साउथ थाने के प्रभारी बलबीर सिंह की टीम ने हिंदू रीति-रिवाज के साथ उनका अंतिम संस्कार किया।
दिल्ली पुलिस के ये गुमनाम हीरो, केवल लोगों को राह पर ही लाने और जीवन बचाने का ही काम नहीं कर रहे बल्कि जीवन के बाद मोक्ष की राह भी आसान कर रहे हैं।