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कोरोना प्रभावित लोगों के अंगों पर पड़ रहा संक्रमण का असर

कोरोना प्रभावित लोगों के अंगों पर पड़ रहा संक्रमण का असर

मेडिसिनल केमेस्ट्री के प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो. राम शंकर उपाध्याय का कहना है कि कोरोनावायरस से ठीक हो रहे लोगों में से अधिकांश के दिल, फेफड़े और नर्वस सिस्टम पर संक्रमण का असर दिख रहा है। उन्होंने कहा कि संक्रमित लोगों के स्वस्थ होने के बाद भी शरीर के अंगों पर कोराना का प्रभाव दिखाई देना चिंता का विषय है।

आईएएनएस से विशेष बातचीत में प्रो. उपाध्याय ने कहा कि दुनिया भर में कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या करोड़ों में होने वाली है। उन्होंने बताया कि लॉसेंट में हाल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना के इलाज के बाद 55 फीसद रोगियों में नर्वस सिस्टम की शिकायतें मिलीं हैं।

इसी तरह जर्मनी में हुए एक अध्ययन में संक्रमण से बचने वाले 75 फीसद लोगों के दिल की संरचना में बदलाव दिखा। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि इसका संबंधित लोगों पर भविष्य में क्या असर होगा। इसका असर कैसे न्यूनतम किया जाए, इस पर भी फोकस करने की जरूरत है। साथ ही यह मानकर भी काम करना होगा कि कोविड-19 अंतिम नहीं है। आगे भी ऐसे हालात आ सकते हैं। तैयारियां इसके मद्देनजर भी होनी चाहिए।

कोरोना के बचाव और इलाज के बारे में पूछने पर मेडिसिनल केमेस्ट्री के वैज्ञानिक ने कहा कि इस रोग के लिए टीका और स्पेसिफिक दवा के लिए जो काम हो रहा है उसके अलावा जरूरत इस बात की है कि पहले से मौजूद फार्मुलेशन के कंबीनेशन से संक्रमण रोकने और संक्रमण होने पर कारगर दवा की तलाश को और तेज किया जाय। उन्होंने बताया कि अब तक कैंसर की करीब 15 दवायें और दर्जन भर एंटी इन्फ्लेमेटरी दवाएं कोविड के लक्षणों के इलाज में उपयोगी पायी गई हैं। इन पर और काम करने की जरूरत है।

भारत की दवा इंडस्ट्री के बारे में उन्होंने कहा कि जिन ऐक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट्स (एपीआई) से दवाएं बनती हैं, वे 75 से 80 फीसद तक चीन से आती हैं। कुछ तो 100 फीसद आयातित सामान से बनती हैं।

प्रो. उपाध्याय लेक्साई लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड हैदराबाद के सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) और अमेरिका के ओम अन्कोलजी के मुख्य वैज्ञानिक हैं। एक दशक से अधिक समय तक वह स्वीडन (स्टकहोम) के उपशाला विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर रहे हैं। इसके अलावा वह मैक्स प्लैंक जर्मनी (बर्लिन) और मेडिसिनल रिसर्च कउंसिल ब्रिटेन (लंदन), रैनबैक्सी, ल्यूपिन जैसी नामचीन संस्थाओं में भी काम कर चुके हैं।

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