देश में इस वक्त कोरोना महामारी की दूसरी लहर के खिलाफ टीकाकरण अभियान चल रहा है। इस अभियान को और तेज करने के लिए भारत सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। विदेशों में 'निर्मित अच्छी तरह से स्थापित' कोविड-19 रोधी टीकों के लिए भारत में ट्रायल की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है। सरकरा के इस कदम के बाद अब विदेशी टीकों के आयात में तेजी आएगी।
भारत में इस समय कोवैक्सीन और कोविशील्ड वैक्सीन लगाई जा रही है, रूसी वैक्सीन स्पूतनिक वी को भी सरकार आपातकालीन मंजूरी दे चुकी है, लेकिन अभी इसके कुछ लाख टीके ही रूस से लाए गए हैं और आने वाले दिनों में भारत में भी उत्पादन किया जाएगा।
सरकार ने कहा है कि जल्दी से जल्दी टीकों के आयात के लिए फाइजर से बातचीत चल रही है। इसके अलावा जॉनसन एंड जॉनसन और मोडर्ना के साथ भी चर्चा हुई है। पिछले महीने भारत सरकार ने विदेशी टीकों को फास्ट-ट्रैक मंजूरी देने का वादा किया था, लेकिन स्थानीय ट्रायल पर जोर देने की वजह से फाइजर से बातचीत अटकी हुई थी। सरकार ने एक बयान में कहा, ''दूसरे देशों में उत्पादित अच्छे टीकों के लिए स्थानीय ट्रायल की अनिवार्यता में छूट के लिए प्रावधानों को बदला गया है।''
इसके साथ ही सरकार ने यहा भी कहा कि, किसी वैक्सीन निर्माता कंपनी ने अभी भारत के दवा नियामक के पास मंजूरी के लिए आवेदन नहीं दिया है। ''हम अंतरराष्ट्रीय वैक्सीन निर्माताओं से अपील को दोहराते हैं कि आएं और भारत में निर्माण करें, भारत के लिए और दुनिया के लिए।''देश में 20 करोड़ से अधिक डोज लगाए जा चुके हैं, लेकिन महज 3 फीसदी आबादी को दोनों डोज लगे हैं।