यह सही है कि कोरोना वायरस की तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक है, इसी के साथ यह भी सच है कि बच्चों की रिकवरी रेट 99.99फीसदी है। इसका मतलब यह है कि कोरोना गाइड का पालन करते हुए बच्चों का इलाज किया जाए तो बच्चों में कोरोना से मरने वाले बच्चों की संख्या न के बराबर है।
ऑस्ट्रेलिया के इम्यूनिटी स्पेशिलिस्ट मेलेनी नीलेंड का कहना है कि बच्चों का इम्यून सिस्टम काफी मजबूत होता है। जैसे ही बच्चों के इम्यून सिस्टम को वायरस के बारे में पता चलता है वह बड़ों के मुकाबले ज्यादा ताकत के साथ काम करना शुरू कर देता है और वायरस को अपनी कॉलोनी बनाने से पहले ही खत्म करने में जुट जाता है।
तीसरी लहर से पहले देश में बच्चों पर कोरोना वायरस को लेकर एक स्टडी करवाई गई। इसमें उत्तर प्रदेश के कई जिले शामिल थे। बरेली, पीलीभी, शाहजहांपुर, लखीमपुर, नोएडा, मेरठ, गाजियाबाद, गोरखपुर, कानपुर, और प्रयागराज सहित कई जिलों में बच्चों कोरोना से रिकवरी रेट लगभग 100फीसदी रही।
इसके अलावा झारखण्ड में कोरोना से संक्रमित 80बच्चों की स्टडी की गई तो यहां 78बच्चे बिल्कुल स्वस्थ हो कर अपने माता-पिता के पास वापस पहुंचे।
बिहार की राजधानी पटना के अस्पतालों में भर्ती कोरोना संक्रमित बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा है लेकिन यहां भी बच्चों की मृत्यु दर नगण्य है।