आम आदमी विशेषकर गरीबों के लिए सस्ती दरों पर गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराने की दृष्टि से मार्च 2025 तक प्रधानमन्त्री जन-औषधि केन्द्रों की संख्या को बढ़ाकर 10500 करने का लक्ष्य रखा गया है। देश में इस समय 15 सितंबर 2020 तक ऐसी दुकानों की संख्या 6606 हो चुकी है।
केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री श्री डी. वी. सदानंद गौड़ा ने कहा है कि जन-औषधि केन्द्रों का नेटवर्क बढ़ने के साथ ही देश के सभी जिलों में जन-औषधि केंद्र हो जाएंगे। जिससे देश के हर कोने में लोगों को किफायती कीमत पर आसानी से दवाएं मिल सकेंगी।
मार्च से जून, 2020 तक जन-औषधि केन्द्रों को कई तरह की चुनौतियों से जूझना पड़ा। परिवहन के लिए वाहनों की उपलब्धता नहीं होने के कारण केन्द्रीय और क्षेत्रीय गोदामों से जन-औषधि केंद्रों तक दवा तथा दवाओं के लिए जरूरी कच्चे माल की समय पर और आवश्यकतानुरुप आपूर्ति नहीं हो पाई।
इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए केन्द्रों पर दवाओं का सही समय पर वितरण सुनिश्चित करने के लिए एक प्रभावी आईटी सक्षम लाजिस्टिक आपूर्ति-श्रृंखला प्रणाली विकसित करने पर काम हो रहा है। वर्तमान में, गुरुग्राम, चेन्नई, बेंगलुरु और गुवाहाटी में प्रधानमंत्री जन-औषधि परियोजना के चार गोदाम कार्य कर रहे हैं। इसके अलावा पश्चिमी और मध्य भारत में दो और गोदाम खोलने की योजना है। आपूर्ति श्रृंखला प्रणाली को मजबूत करने के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में वितरकों की नियुक्ति भी की जा रही है।
प्रधानमंत्री भारतीय जन-औषधि परियोजना को 490 करोड़ रुपये के बजट के साथ 2020-21 से 2024- 25 की अवधि के लिए मंजूरी दी गई है। कोविड लॉकडाउन के कठिन समय के बावजूद इन केन्द्रों ने बिक्री का शानदार प्रदर्शन करते हुए वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में कुल 146.59 करोड़ रुपये का कारोबार किया जबकि 2019 20 की पहली तिमाही मे यह आंकड़ा 75.48 करोड़ रुपये रहा था। जुलाई से 15 सितंबर तक इन केन्द्रों से कुल 109.43 करोड़ रुपये की बिक्री हुई जिसे मिलाकर 15 सितंबर तक कुल 256.02 करोड़ रुपये की बिक्री हो चुकी है।
जन-औषधि केन्द्रों ने गुणवत्ता वाली दवाओं की कीमतों में भारी कमी करते हुए देश की एक बड़ी आबादी विशेषकर गरीबों तक इन दवाओं की पहुंच आसान बना दी है।.