कोरोना महामारी के चलते हेल्थ इंश्योरेंस करवाने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। हर दिन हजारों लोगों अस्पताल में भर्ती हो रहे है। महंगे इलाज लोगों की सेविंग्स को खत्म कर रहे है। ऐसे में अपने परिवार को आर्थिक सहारा देने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस ही काम आता है। ये इंश्योरेंस अस्पताल में भर्ती होने के खर्च होने को कवर करता है। पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी दो तरह के होते है। इंडिविजुअल पॉलिसी और फैमिली फ्लोटर पॉलिसी-
इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी- सम इंश्योर्ड की राशि और बेनेफिट्स किसी इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में बीमाधारक के लिए फिक्स रहते है। हालांकि अगर इस प्रकार की पॉलिसी में एक से अधिक लोगों को संयुक्त रूप से बीमा होता है तो स्वास्थ्य बीमा कंपनियां प्रीमियम में कुछ छूट भी देती है। ज्वाइंट हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में अगर किसी एक शख्स ने अस्पताल के खर्चों को लेकर क्लेम कर लिया है तो यह दूसरे शख्स के बेनेफिट्स को प्रभावित नहीं करेगा यानी दूसरे शख्स को पूरा बेनेफिट्स मिलेगा।
फैमिली फ्लोटर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी- इस प्रकार की पॉलिसी में अगर किसी शख्स ने हॉस्पिटलाइजेशन को लेकर क्लेम कर लिया है तो पॉलिसी अवधि के बचे समय के लिए सम इंश्योर्ड कम हो जाता है। इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं कि 5 लाख रुपये वाला कोई फैमिली फ्लोटर अप्रैल में हर साल रिन्यू होता है। अगर बीमित चार सदस्यों में किसी एक ने अगस्त में 3 लाख रुपये का क्लेम हासिल कर लिया है तो बचे हुए अगले सात महीने तक सिर्फ 2 लाख रुपये का सम इश्योर्ड ही उपलब्ध रहेगा।
हालांकि यहां यह जानना भी बेहद जरुरी है कि अगर हेल्थ इंश्योरेंस कराए हुए शख्स की मौत हो जाती है तो स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का क्या होगा। चलिए आज हम आपको बताते है कि हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में इंश्योर्ड की मृत्यु होने पर क्या प्रक्रिया होती है ?
इंश्योर्ड परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु होने के केस में- अस्पताल में भर्ती होने के दौरान अगर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में इंश्योर्ड परिवार के किसी शख्स की मौत हो जाती है तो परिवार के अन्य सदस्य बीमा कंपनी से क्लेम रिक्वेस्ट को प्रॉसेस करने और क्लेम सेटलमेंट का अनुरोध कर सकते है।
इंश्योर्ड सदस्य की मृत्यु होने के केस में- अगर इंश्योर्ड सदस्य की मृत्यु होने हो जाती है तो प्रस्तावक को बीमा कंपनी से संपर्क कर क्लेम रिक्वेस्ट को प्रॉसेस करने और क्लेम सेटलमेंट का अनुरोध करना होता है। कवर से मृतक को हटा दिया जाता है और पॉलिसी के टर्म्स एंड कंडीशंस के मुताबिक प्रीमियम को रिफंड किया जाएगा।
पॉलिसी के प्रस्तावक की मृत्यु होने पर- पॉलिसी अवधि के दौरान प्रस्तावक की मौत होने की स्थिति में परिवार को इंश्योरेंस कंपनी से प्रस्तावक में बदलाव के लिए संपर्क करना होता है। ऐसी स्थिति में एक नए प्रस्तावक को लेकर नया फॉर्म भरा जाता है। बीमा कंपनी प्रस्तावक को बदलती है और अन्य सदस्यों के लिए पॉलिसी जारी रहती है।
एक से अधिक सदस्यों की मृत्यु होने पर- ऐसी स्थिति में अगर यह रिइंबर्समेंट क्लेम है तो पॉलिसी में रजिस्टर्ड नॉमिनी को क्लेम पेड किया जाता है। अगर यह कैशलेस क्लेम है तो अस्पताल से जुड़े खर्चों को सीधे अस्पताल को पे किया जाता है।