कोरोना वायरस की दूसरी लहर में फिलहाल संक्रमण के मामलों में तो गिरावाट दर्ज होने लगी है लेकिन मरने वालों की संख्या अब भी लगातार बढ़ती जा रही है। रोजाना करीब 4 हजार लोगों की मौत हो रही है। वहीं, आम लोगों के साथ-साथ डॉक्टरों पर भी कोविडा-19 कहर बनकर बरस रहा है और एक दिन में देशभर में 50 डॉक्टरों की जान गई है।
भारत में इस साल आई कोरोना की दूसरी लहर में अब तक 244 डॉक्यर डान गवां चुके हैं। इससे पहले बीते साल पहली लहर में 736 चिकित्सकों की मौत हुई थी। इस तरह कोरोना के चलते अब तक देश में 1,000 डॉक्टरों की मौत हो चुकी है। वहीं, राजधानी दिल्ली के गुरु तेग बहादुर अस्पताल के 26 वर्षीय रेजिडेंट डॉक्यर अनस मुजाहिद की कोविड-19 टेस्ट पॉजिटिव आने के कुछ घंटों के बाद ही मौत हो गई। मुजाहिद की मौत को एक सप्ताह गुजर गया है, लेकिन उनके दोस्त और सहकर्मी डॉ. आमिर सोहैल अब भी इस घटना पर यकीन नहीं कर पा रहे हैं।
मुजाहिद को कोरोना के मामूली लक्षण नजर आ रहे थे। उनके गले में जलन थी और रैपिड एंटीजन टेस्ट में कोरोना पॉजिटिव आए थे। इस कुछ घंटों के बाद ही उनकी मौत हो गई। मुजाहिद को कोरोना का टीका भी नहीं लगा था। डॉ. आमिर सोहैल ने कहा, 'यह बड़ा झटका था। उसके भीतर कोरोना के कोई गंभीर लक्षण नहीं थे। उसके पैरेंट्स ने भी बताया है कि उसे कभी कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या नहीं हुई थी। हम खुद भी नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर ऐसा कैसे हुआ।' इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक के मुताबिक इस साल कोरोना संकट में 244 चिकित्सकों की मौत हो चुकी है।
बिहार में हुई सबसे ज्यादा डॉक्टरों की मौत
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के मुताबिक, कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान सबसे ज्यादा डॉक्टरों की मौतें बिहार (69) में हुई हैं। इसके बाद उत्तर प्रदेश (34) और दिल्ली (27) हैं। इनमें से केवल 3 फीसदी डॉक्टरों को ही पूरी तरह से टीका लगाया गया था।
IMA के महासचिव डॉ जयेश लेले ने टीका लगवाने पर जोर दिया है, उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि रविवार को हमने 50 डॉक्टरों को खो दिया। अप्रैल के पहले सप्ताह से अब तक 244 लोगों की मौत हो चुकी है। अब भी ऐसे बहुत से डॉक्टर हैं, जिन्होंने कोरोना वैक्सीन नहीं ली है। उन्होंने कहा कि हमारी ओर से पूरा प्रयास किया जा रहा है कि सभी हेल्थवर्कर्स को टीका लगाया जाए।