दुनिया भर में कोरोना महामारी फैली हुई है। कोरोना का उपचार भी किया जा रहा है। लेकिन उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में एक ऐसी बीमारी सामने आई है जो कोरोना तो नहीं है लेकिन कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक है। इस बीमारी से एक ही गांव के 100 से ज्यादा लोगों की मौत एक महीने में हो गई चुकी है। इस बीमारी में तेज बुखार आता है और सांस फूलती है और मरीज पर मौजूदा दवाएं काम नही कर रही हैं। इस गांव का नाम ललौली है। ललौली में इस रहस्यमयी बुखार का खौफ है। इस बीमारी से मरे लोगों को गांव के 10 कब्रिस्तानों में इन्हें दफनाया गया है।
फतेहपुर जिले में 26 अप्रैल को पंचायत चुनावों के लिए मतदान होना था। जिले के बाकी क्षेत्रों की तरह यहां भी प्रचार के साथ संक्रमण का ग्राफ बढ़ रहा था। जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर बांदा हाइवे के किनारे बसी ललौली ग्राम सभा में जुकाम, बुखार और सांस फूलने की समस्या के रोगी बढ़े।
गांव के नव निर्वाचित प्रधान शमीम अहमद के अनुसार, 10 अप्रैल को पहले मरीज की मौत हुई। लोगों ने इसे जुकाम बिगड़ने और तेज बुखार का केस मान नजरअंदाज कर दिया, लेकिन केस बढ़ते रहे। इसके बाद हर दिन 1-2 लोगों की इन लक्षणों के साथ मौत होने लगी।
बीमारों को लेकर लोग सबसे पहले फतेहपुर जिला अस्पताल पहुंचते थे, लेकिन वहां इन्हें भर्ती नहीं किया जाता था। कानपुर और बांदा के अस्पतालों में भी इलाज नहीं मिला। कुछ पैरा-मेडिकल स्टाफ की मदद से ऑक्सिजन सिलिंडर जैसी चीजों का इंतजाम किया गया, लेकिन यह नाकाफी था।
गांव के सूफियान कहते हैं कि 10 दिनों में उनके परिवार के 4 लोगों ने दम तोड़ दिया। किसी को कोई इलाज नहीं मिल सका। वह खुद भी बीमार हुए। काढ़ा पीकर लंबे संघर्ष के बाद उनकी तबीयत ठीक हुई। फैजान कहते हैं कि उनके चाचा को गले में दर्द और सांस लेने में तकलीफ के बाद मौत हो गई थी। लेकिन टेस्ट न होने से बीमारी के बारे में पता नहीं।
गांव में 'रहस्यमयी बुखार' से आखिरी मौत 13 मई को हुई। बुखार और सांस फूलने से गुलाम हुसैन की पत्नी बिस्मिल्लाह ने दम तोड़ दिया। शकील का कहना है कि लोगों में जागरूकता की जबरदस्त कमी है। कई लोगों ने कोरोना के खतरे को हवा में उड़ा देने से ऐसे हालात हुए।
गांव के लोगों के इलाज का जिम्मा नजदीकी अतिरिक्त पीएचसी पर है। जहां सिर्फ मोबाइल के जरिए इलाज की सुविधा कभी-कभार उपलब्ध है। केंद्र सुबह 8 से शाम 4 बजे तक खुलता है।
फतेहपुर की डीएम अपूर्वा दुबे ने बताया, 'ललौली में कुछ दिनों में बीमारी से कई मौतों की सूचना मिली है। एसडीएम को जांच के लिए भेजा है। रिपोर्ट के बाद मौत की वजह पता चलेगी।' वहीं ललौली के नवनिर्वाचित प्रधान शमीम का कहना है कि गांव में बुखार और सांस फूलने से एक महीने में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि मौत की वजह कोविड है।