Hindi News

indianarrative

जानिए मरीजों को अगर दोबारा कोरोना होता है, तो कैसी होगी उनकी हालत ?

Post Covid Syndrome

कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ने एक बार फिर सबको हिला कर रख दिया है। इन दिनों चीन में कोरोना से हालात बेकाबू होते दिखाई दे रहे हैं, जिसके चलते सरकार ने जीनोम सीक्वेंसिंग के आदेश दे दिए हैं। साथ ही विदेश से आने वाले लोगों की रैंडम टेस्टिंग भी की जाएगी। मालूम हो कोरोना की पहली लहर के बाद लोगों में Post Covid Syndrome के प्रभाव भी देखे जा रहे हैं। ये पोस्ट कोविड सिंड्रोम यानी कोरोना से बाद होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, पोस्ट कोविड सिंड्रोम का असर लंबे समय तक देखा जा सकता है। पोस्ट कोविड सिंड्रोम जैसी परेशानी का सामना करने वाले लोगों में दोबारा कोरोना संक्रमण होने से क्या प्रभाव पड़ सकता है इसको लेकर अपने हेल्थ एक्सपर्ट्स का क्या कहना है इसके बारे में आज हम आपको इस रिपोर्ट के जरिए सब कुछ बताएंगे।

पोस्ट कोविड सिंड्रोम क्या है?

जिन लोगों को कोरोना का संक्रमण हो चुका है, उनमें लॉन्ग कोविड का खतरा भी बना हुआ है। मतलब यदि आप कोरोना से ठीक चुके हैं तो भी खतरा पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। पोस्ट कोविड का मतलब संक्रमण के बाद भी शरीर में बनी रहने वाली कुछ समस्याएं होती हैं। आमतौर पर कोविड-19 से ठीक होने के करीब 3 महीने तक ऐसे लक्षण हो सकते, कुछ लोगों में लक्षण और लंबे समय तक भी बने रह सकते हैं। इसका ज्यादातर असर हमारे रेस्पिकरेटरी सिस्टम और हार्ट पर पड़ता है।

ये भी पढ़े: आखिर ऐसा क्या हुआ जो China में फिर तेजी से फैल रहा है कोरोना?वजह जानकर उड़ जायेंगे होश

पोस्ट कोविड के मरीजों को कोरोना का कितना खौफ?

वायरल इंफेक्शन के एक्सपर्ट डॉक्टर ने बताया कि दुनियाभर में करीब से 25 से 30 फीसदी आबादी कोरोना के बाद होने वाली समस्याओं से पीड़ित हैं, उनका कहना है कि ओमिक्रॉन का नया वेरिएंट BF.7 ज्यादा तेजी से फैल रहा है। जाहिर सी बात है कि इस वेरिएंट से लोगों के संक्रमित होने का अंदेशा है।लेकिन ओमिक्रोन के सब वेरिएंट से लोग ज्यादा इंफेक्टेड हुए लेकिन मौतों का आंकड़ा कम है। जो लोग अस्पताल में भर्ती हैं, उनमें कोरोना के बाद होने वाली समस्याएं ज्यादा देखी गई हैं, जो लोग पहले ही पोस्ट कोविड से जूझ रहे हैं, उन्हें और ज्यादा सजग होने की जरूरत है। हालांकि, पोस्ट कोविड सिंड्रोम क्यों होता है, इसको लेकर कोई ठोस रिसर्च सामने नहीं आई है। उनका कहना है कि पोस्ट कोविड वाले लोगों में भी कोरोना उतना ही प्रभावित होगा, जितना नॉर्मल लोग प्रभावित होंगे। लेकिन इन लोगों को किसी तरह की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।