इस समय चीन (China)में एक बार फिर से कोरोना वायरस अपने पैर पसार रहा है, जिसकी रोकथाम करना भी बेहद मुश्किल हो रहा है। लेकिन इसकी वजह जानकर आप हैरान हो जाएंगे। बताया जा रहा है कि यहां खतरा इसलिए ज्यादा है कि यहां इंफेक्शन दुनिया के बाकी देशों की तुलना में कम हुआ था। चीन आंकड़े भी छिपा रहा है और खुद को कोरोना का सच बताने से कतराता रहा है, जिसका नतीजा है कि चीन कोरोना के बुरे दौर में पहुंचता जा रहा है। वैज्ञानिकों की मानें तो चीन में इंफेक्शन नहीं हुआ था, इसलिए वहां मामले बढ़ने की आशंका ज्यादा है। चाहे सिंगापुर हो, साउथ कोरिया हो, चाहे जापान हो, ये देश हाइली वैक्सिनेटेड हैं, लेकिन वहां नेचुरल इंफेक्शन नहीं हुआ था, इसलिए वहां मामले बढ़ने की आशंका है।
चीन में 60 फीसदी लोग संक्रमित
ICMR के विशिष्ठ वैज्ञानिक समीरन पांडा ने बताया कि चीन में तेजी से बढ़ते कोरोना के केस से अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले तीन महीने में चीन में 60 फीसदी लोग संक्रमित हो जाएंगे, इसलिए डर का माहौल बन गया है। चीन में जो स्थिति है, उसकी मॉनिटरिंग जरूरी है लेकिन इससे डरने की जरूरत नहीं है।
बढ़ते कोरोना केस को लेकर चिंता में WHO
डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने चीन को टीकाकरण पर फोकस करने की नसीहत दी है, साथ ही इसकी वजह पता करने से डेटा मुहैया कराने की अपील की। टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने कहा कि चीन में COVID-19 की गंभीरता पर अधिक जानकारी जुटाने की जरूरत है। इसके लिए डेटा को साझा करने को कहा है। टेड्रोस ने कहा कि जबकि वायरस से मृत्यु दर दुनिया में अपनी चरम सीमा के बाद से 90% से अधिक गिर गई हैं, जिससे ये नतीजा निकाला गया कि महामारी खत्म हो गई है।
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नया वेरिएंट हो सकता पैदा
कुछ वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि चीन में COVID-19 केसों की बेलगाम बढ़ोत्तरी से नया वेरिएंट पैदा हो सकता है, जो महामारी को रोकने की रफ्तार को रोक सकता है। डब्ल्यूएचओ को रोग की गंभीरता, अस्पताल में भर्ती और आईसीयू सहायता की आवश्यकताओं के बारे में अधिक विस्तृत जानकारी की आवश्यकता है। चीन को वैक्सीनेशन के बारे में भी बताना चाहिए। ताकि महमारी को रोकने के प्रयासों में मदद मिल सके। आपको बता दें कि कोरोना का पहला मामला चीन के वुहान में मिला था, जिसके बाद दुनिया के बाकी देशों में बीमारी ने तबाही मचाई।