<p id="content">उत्तर प्रदेश में आगरा के चिल्ड्रंस होम (बच्चों के आश्रय गृह) में 24 से 26 अक्टूबर के बीच 6 महीने से कम उम्र के 3 शिशुओं की मौत हो गई। इससे एक महीने पहले ही निरीक्षण में पता चला था कि बच्चों को पर्याप्त पोषण नहीं दिया जा रहा था। आधिकारिक तौर पर मिली जानकारी के अनुसार, 4 महीने की सुनीता की मौत 24 अक्टूबर को एसएन मेडिकल कॉलेज ले जाने के दौरान रास्ते में हो गई थी, वहीं 3 महीने की प्रभा और 2 महीने की अवनी की मौत 25 अक्टूबर को अस्पताल में भर्ती होने के कुछ घंटों बाद हो गई थी।
वर्तमान में इस केन्द्र में 2-2 कार्यकर्ता प्रत्येक पारी में 44 बच्चों की देखभाल करते हैं। सितंबर के मध्य में एक अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश ने केन्द्र का निरीक्षण करने के बाद कहा था कि यहां बच्चों को उचित देखभाल और पोषण नहीं मिल रहा है।
हालांकि, केंद्र के अधीक्षक विकास कुमार ने इन मौतों के लिए शहर के मौसम में हुए अचानक बदलाव और शिशुओं के समय से पहले जन्म को जिम्मेदार ठहराया है। जिला मजिस्ट्रेट प्रभु एन. सिंह ने कहा, "मुझे केंद्र प्रबंधन ने बताया कि दो बच्चे पहले से ही गंभीर हालत में थे, उन्हें उनके माता-पिता ने फेंक दिया था। एक अन्य बच्चे को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें हो रही थीं और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।"
वर्तमान में 10 वर्ष से कम उम्र के 44 ऐसे बच्चों को आगरा में राज्य सरकार की आश्रय सुविधा में रखा गया है, जिनकी देखभाल करने के लिए कोई अभिभावक नहीं है। सिंह ने कहा, "मैंने मुख्य विकास अधिकारी जे. रीभा को केंद्र में निरीक्षण करने के लिए कहा है। हम यह पता लगाएंगे कि क्या बच्चों की मौत पोषण संबंधी कमी के कारण हुई है या चिकित्सीय स्थितियों के कारण हुई है। मैंने केन्द्र के सभी बच्चों की चिकित्सा जांच के आदेश दिए हैं।"
वहीं 19 सितंबर के अपने पत्र में अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश सर्वजीत कुमार सिंह ने लिखा था, "बच्चों को देखकर ऐसा नहीं लगता है कि उन्हें पर्याप्त मात्रा में दूध/पौष्टिक पाउडर मिल रहा है। बच्चे बेहद कमजोर दिख रहे हैं। लैक्टोजन पाउडर और खाद्य सामग्री की खरीद के रजिस्टर के बारे में पूछे जाने पर केंद्र प्रभारी संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। बच्चों को मानदंडों के अनुसार दूध और पौष्टिक भोजन नहीं दिया जाता है, जो आपत्तिजनक है।"</p>.