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चीन की 'वैक्सीन डिप्लोमेसी' हुई फेल

कोरोना वायरस को लेकर चीन का ब्लफगेम दुनिया पहले ही देख चुकी है। कई देश सीधे तौर पर चीन को कोविड-19 के लिए जिम्मेदार ठहरा चुके हैं। इस वैश्विक महामारी से निपटने के लिए वैक्सीन बनाने की पहल जारी है। हर चीज में मुनाफा देखने वाला चीन भी कोरोना वैक्सीन बनाने की रेस में है। कोरोना वैक्सीन के जरिए चीन वैक्सीन डिप्लोमेसी में लगा था। वैक्सीन डिप्लोमेसी (वैक्सीन कूटनीति) से चीन रिश्तों को सुधारना चाहता है। ब्राजील के साथ वो ऐसा ही कर रहा था, लेकिन ब्राजील ने अब चीन की वैक्सीन डिप्लोमेसी से किनारा कर लिया है। दरअसल चाइना मेड कोरोना वैक्सीन का फाइनल ट्रायल ब्राजील में होना था, लेकिन ब्राजील ने अब ट्रायल पर रोक लगा दी है।

वैक्सीन के माध्यम से चीन दुनिया के कई देशों के साथ रिश्तों में आई खटास को दूर करने में लगा है। लेकिन उसकी तरह उसके टीके पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता। यही वजह है कि ब्राजील ने अपने यहां चीनी वैक्सीन के ट्रायल को प्रतिबंधित कर दिया है। ब्राजील के राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियामक अनवीसा (ANVISA) ने स्पष्ट किया है कि कोरोना वैक (चीन द्वारा निर्मित की गई वैक्सीन) का फाइनल ट्रायल रोक दिया गया है। प्रारंभिक चरण में इस वैक्सीन का ट्रायल 9000 लोगों पर किया गया था। लेकिन 29 अक्टूबर को इन लोगों पर विपरीत परिणाम देखा गया। जिसके बाद ब्राजील ने ये कड़ा कदम उठाया है।

ब्राजील दुनिया के उन देशों में है जहां कोरोना का सबसे ज्यादा असर पड़ा है। इस लैटिन अमेरिकी देश में कोरोना वायरस के कारण अब तक 1,60,000 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर (Pfizer) और जर्मन कंपनी बायोनटेक (BioNTech) द्वारा निर्मित वैक्सीन अपने परीक्षणों में  90 प्रतिशत तक असरदार रही है। ऐसे में चीनी टीके का ट्रायल बंद होने से चीन को तगड़ा झटका लगा है। वैक्सीन के माध्यम से चीन अपने कूटनीतिक साझेदारों से रिश्तों को सुधारने का प्रयास कर रहा था, साथ ही हेल्थ गुड्स सप्लायर के तौर पर उसकी छवि भी खराब हुई है।

बीजिंग और उसकी वैक्सीन निर्माता कंपनी साइनोवैक (कोरोना वैक वैक्सीन बनाने वाली चीनी कंपनी) बड़े-बड़े दावे कर रहे थे। कि वो कोरोना से निपटने के लिए पूर दुनिया को वैक्सीन उपलब्ध कराएंगे। साइनोवैक रासायनिक रूप से निष्क्रिय वायरस का प्रयोग करके वैक्सीन बना रही है, जो रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करती है।

कंपनी की ओर से ब्राजील, इंडोनेशिया और तुर्की में स्टेज-3 (अंतिम चरण) के ट्रायल किए जा रहे थे। लेकिन ब्राजील से जो झटका चीन को लगा है, उससे इंडोनेशिया और तुर्की भी अलर्ट हो गए होंगे।.