भारत का वैक्सीन की दुनिया में नाम होने वाला है। जो कुछ हफ्तों में दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन उत्पादक देश बनकर उभरेगा। पूरी दुनिया को भारत में विकसित हो रहे वैक्सीन से बेहद उम्मीद है। क्योंकि कोरोना से दुनिया को सुरक्षित करने में भारत बड़ी जिम्मेदारी निभाने जा रहा है। कुछ हफ्तों में भारत के पहले वैक्सीन को हरी झंडी मिल जाएगी। इसके साथ भारत दुनिया के तमाम देशों के लिए <a href="https://hindi.indianarrative.com/india/covid19-vaccine-birthday-gift-in-britain-then-vaccine-became-an-example-of-love-in-india-20913.html" target="_blank" rel="noopener noreferrer">वैक्सीन दाता</a> बनकर सामने आएगा । आपको बता दें कि भारत में <strong>आठ वैक्सीन</strong> अपने विकास और टीकाकरण की अनुमति पाने के विभिन्न चरणों में हैं।
पुणे स्थित <strong>सीरम इंस्टीट्यूट</strong> आफ इंडिया और हैदराबाद स्थित फार्मास्यूटिकल फर्म <strong>भारत-बायोटेक</strong> ने कोरोना मरीजों के लिए अपने-अपने वैक्सीन की आपातकालिन अनुमति के लिए भारत के ड्रग रेगुलेटर को आवेदन कर दिया है। वहीं, सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल कमेटी (CDSO) की ओर से सीरम इंस्टीट्यूट से वैक्सीन के संबंध में <a href="https://hindi.indianarrative.com/india/covid19-vaccines-security-will-be-like-evm-strongroom-yogi-20686.html" target="_blank" rel="noopener noreferrer">सुरक्षा और क्षमता</a> को लेकर कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां मांगी गई है। अब इस पर स्थिति साफ होने की देरी है।
इसके अलावा, <strong>भारत-बायोटेक</strong> की ओर से वैक्सीन के आपातकलिन उपयोग के लिए किए गए आवेदन पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। इन दोनों वैक्सीन के अलावा भारतीय-अमेरिकी कंपनी <strong>फाइजर</strong> भी भारत में वैक्सीन के आपातकालिन उपयोग की मंजूरी लेने के लिए प्रयासरत है।
<h3>भारत के आठ कोविड-19 वैक्सीन</h3>
<strong>पहला वैक्सीन</strong> कोविशील्ड है, जिसे आपातकालिन टीकाकरण के लिए आवेदन किया गया है। इसको सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया ने एस्ट्रा जेनेका के साथ मिलकर विकसित किया है।
<strong>दूसरा वैक्सीन</strong> कोवैक्सीन है, जो स्वदेशी वैक्सीन है। जिसे भारत-बायोटेक ने इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के साथ मिलकर विकसित किया है। वर्तमान में यह तीसरे चरण के ट्रायल में है। इसके आपातकालिन उपयोग के लिए डीसीजीआई को आवेदन किया जा चुका है।
<strong>तीसरी वैक्सीन</strong>, ZyCOV-D है। जिसे अहमदाबाद स्थित कैडिला हैल्थकेयर ने केंद्र सरकार के बायोटेक्नॉलजी डिपार्टमेंट के साथ मिलकर विकसित किया है। जिसका दूसरे चरण का ट्रायल चल रहा है।
<strong>चौथा वैक्सीन</strong> स्पुतनि-5 है। जिसे हैदराबाद के डा. रेड्डी लैब और रूस के गमालिया नेशनल सेंटर के समझौतों के तहत विकसित किया जा रहा है। भारत में इसके दूसरे चरण का ट्रायल हो चुका है और अगले हफ्ते तीसरे चरण के ट्रायल की तैयारी है।
<strong> पांचवा वैक्सीन</strong>, NVX-CoV2373 है। इसे सीरम इंस्टीट्यूट और Novax के सहयोग से विकसित किया गया है। इसके तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल ड्रग रेगुलेटर के पास विचाराधीन है।
<strong>छठा वैक्सीन</strong>, यह रिकांबीनेंट प्रोटिन एंटीजन आधारित वैक्सीन है। इसे हैदाराबाद स्थित बायोलॉजिकल ई लिमिटेड के द्वारा अमेरिका के एमआईटी के सहयोग से विकसित किया जा रहा है। इसका प्री एनिमल ट्रायल का स्टडीज हो चुका है। इसके बाद, क्लिनिकल ट्रायल के पहले और दूसरे चरण को शुरू किया गया है।
<strong>सातवां वैक्सीन</strong>, HGCO19 है। जो पुणे स्थित जिनोवा द्वारा अमेरिका की HDT के सहयोग से विकसित किया जा रहा है। इसका भी पहले और दूसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो गया है।
<strong>आठवां वैक्सीन</strong>, इसे भारत-बायोटेक की ओर से विकसित किया जा रहा है। इसके विकास में अमेरिका स्थित थामस जैफरसन यूनिवर्सिटी सहयोग कर रही है। यह अपने प्री-क्लिनिकल स्टेज पर है। इसके नाम का खुलासा नहीं हुआ है।
अगले कुछ महीनों में इनमें से अधिकांश वैक्सीन उपयोग में आ सकती हैं। आपको बता दें कि भारत के वैक्सीन निर्माताओं पर दुनिया की उम्मीद टीकी है। क्योंकि भारत में निर्मित वैक्सीन में से 60 फीसद वैक्सीन को दुनिया के तमाम देशों में टीकाकरण के लिए भेजा जाएगा। इस प्रकार देखें तो भारत दुनिया को कोरोना से सुरक्षित करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है। भारत का फार्मास्यूटिकल सेक्टर दुनिया की रीढ़ की हड्डी बनकर उभरेगी।.